दिल्ली, सोमवार – दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को कथित तौर पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांग कोटे का गलत लाभ उठाने के मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा, "अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है। गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण रद्द किया जाता है।" उन्होंने यह भी कहा कि खेडकर के खिलाफ प्रथम दृष्टया एक मजबूत मामला बनता है और इस मामले में साजिश का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की आवश्यकता है।
संवैधानिक संस्था और समाज के साथ धोखाधड़ी
न्यायाधीश ने इसे संवैधानिक संस्था और समाज के साथ धोखाधड़ी का गंभीर मामला बताया। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने आरक्षण के लाभ लेने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के आवेदन में गलत जानकारी दी।
ये उनके लिए सबक है जो फेक कास्ट सर्टिफिकेट बनवा रहे हैं।
— Tarun Jatav (@tarunjatav50) December 24, 2024
पूजा खेडकर फेक OBC सर्टिफिकेट बनवाकर IAS वन गई थी और दिल्ली हाइकोर्ट ने इसे जमानत देने से मना कर दिया है।
कल 25 दिसम्बर को मनुवादी मेरिट दिवस किस मुंह से मनाओगे जब नौकरी ही फेक सर्टिफिकेट बनवाकर कर रहे हैं।
बहुत से… pic.twitter.com/6CeeaypVLV
दिल्ली पुलिस और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया। यूपीएससी के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कौशिक और वकील वर्धमान कौशिक ने न्यायालय में अपनी दलीलें पेश कीं।
जांच में गंभीर आरोप
जुलाई में यूपीएससी ने खेडकर के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। आरोप है कि उन्होंने फर्जी पहचान के आधार पर सिविल सेवा परीक्षा दी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की।
खेडकर ने किया आरोपों से इनकार
पूजा खेडकर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने दावा किया कि उनके खिलाफ कार्रवाई दुर्भावनापूर्ण है। हालांकि, न्यायालय ने इन दावों को पर्याप्त नहीं माना और जमानत याचिका खारिज कर दी।
यह मामला संवैधानिक संस्थाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। अब जांच एजेंसियां इस मामले में आगे की कार्रवाई करेंगी।