जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में कोचिंग संस्थानों पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। गांव ढाणी के छात्रों और उनके परिजनों ने आरोप लगाया है कि कोचिंग संस्थान न केवल मोटी रकम वसूल रहे हैं, बल्कि बहन-बेटियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। जब इन मुद्दों पर आम छात्र शक्ति ने आवाज उठाई, तो पुलिस द्वारा उनके आंदोलन को दबाने की कोशिश की गई।
छात्रों का आरोप: कोचिंग संस्थान पैसे लेकर कर रहे हैं अनदेखी
गांव ढाणी के छात्रों ने बताया कि कोचिंग संस्थान फीस के नाम पर मोटी रकम वसूलते हैं, लेकिन छात्रों की बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी करते हैं। छात्रों का कहना है कि न केवल पढ़ाई का माहौल खराब है, बल्कि सुरक्षा का भी अभाव है। छात्राओं के लिए संस्थान में कोई ठोस सुरक्षा व्यवस्था नहीं है, जिससे उनके भविष्य और सुरक्षा दोनों खतरे में हैं।
आखिर यह आम छात्र शक्ति की आवाज को दबाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है !!
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) December 16, 2024
देखिए किस प्रकार जयपुर में गांव ढाणी के बच्चों से मोटी रकम वसूलने के बाद बहन बेटियों की जान से खिलवाड़ करते कोचिंग संस्थानों की अगुवाई करने पहुंच जाती है पुलिस !! #ViralVideo #ViralStory #Trendingvideo… pic.twitter.com/EekQDNt6IL
पुलिस पर आवाज दबाने का आरोप
जब छात्रों ने इन मुद्दों पर आवाज उठाई, तो कोचिंग संस्थानों की तरफ से पुलिस को बुलाया गया। प्रदर्शन कर रहे छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी शिकायतें सुनने के बजाय, उन्हें डराने और आंदोलन खत्म करने का प्रयास किया। छात्रों का कहना है कि यह कदम संस्थानों को बचाने और उनकी गलतियों को छिपाने के लिए उठाया गया।
छात्र शक्ति की मांग: शिक्षा में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित हो
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्रों ने मांग की है कि कोचिंग संस्थानों की मनमानी पर रोक लगाई जाए और शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। उन्होंने सरकार से अपील की है कि इन संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जो न केवल छात्रों के अधिकारों का हनन कर रहे हैं, बल्कि उनके जीवन और भविष्य को भी खतरे में डाल रहे हैं।
अभिभावकों की चिंता: बेटियों की सुरक्षा पर सवाल
प्रदर्शन में भाग ले रहे अभिभावकों ने कहा कि वे अपनी बेटियों को कोचिंग संस्थानों में भेजने से डरते हैं। उनका कहना है कि संस्थानों में न तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं और न ही प्रशासन की ओर से निगरानी।
सरकार और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस घटना ने राज्य सरकार और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रों का कहना है कि अगर सरकार और पुलिस उनकी आवाज सुनने के बजाय संस्थानों की तरफदारी करेगी, तो यह शिक्षा के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।
क्या कहता है कानून?
शिक्षा अधिकार और छात्रों की सुरक्षा को लेकर कई नियम और कानून हैं, लेकिन इस मामले में उनकी अनदेखी की जा रही है। छात्रों ने मांग की है कि कोचिंग संस्थानों की जांच हो और जो संस्थान दोषी पाए जाएं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
छात्र शक्ति का संदेश: अन्याय के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा
आम छात्र शक्ति ने कहा कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक कोचिंग संस्थानों की मनमानी खत्म नहीं होती और छात्रों को उनके अधिकार नहीं मिलते।
यह घटना न केवल शिक्षा के व्यवसायीकरण की पोल खोलती है, बल्कि छात्रों और अभिभावकों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की उदासीनता को भी उजागर करती है। सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की जा रही है।