विराटनगर विधानसभा के प्रागपुरा थाने क्षेत्र में भू माफिया के हाथों एक बार फिर समाज के एक वर्ग पर हिंसा और अन्याय का मामला सामने आया है। यह घटना तब घटी जब भू माफियाओं हेमंत धनकड़, दोलूराम जाट, और नितेंद्र मानव ने लगभग 100 बदमाशों के साथ मिलकर पीड़ित परिवार की ज़मीन पर ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा करने की कोशिश की। इस हिंसक हमले में पीड़ित परिवार के पुरुष और महिलाएं मारे गए, और उनका अपहरण कर उन्हें अज्ञात स्थान पर ले जाया गया, जहां उनकी जमकर पिटाई की गई। पीड़ितों को सड़क पर फेंक दिया गया, जिसके बाद उन्हें गंभीर रूप से घायल अवस्था में जयपुर के SMS हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
हालांकि, भू माफियाओं के राजनीतिक संरक्षण के कारण, पीड़ित परिवार के दो सदस्य जिन्हें बचाया गया था, उन्हें पुलिस थाने में बंद कर दिया गया। यह घटना बीजेपी सरकार के तहत समाज के कमजोर वर्गों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और अन्याय का एक और उदाहरण बन चुकी है। पीड़ित पक्ष का कहना है कि यदि इस प्रकार की घटनाओं को रोका नहीं गया, तो समाज के इन वर्गों के लिए सुरक्षा का कोई आश्वासन नहीं है।
इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, घीसालाल सैनी और ब्रजमोहन सैनी ने समाज के अन्य वर्गों से अपील की है कि वे अपनी आवाज़ उठाएं। उनका कहना था कि यह केवल एक परिवार की कहानी नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से समाज के कमजोर वर्गों के साथ हो रहे लगातार अत्याचारों का परिणाम है। उन्होंने कहा, "हमें अपनी ताकत को पहचानना होगा। हम अक्सर दूसरों के इस्तेमाल का हिस्सा बन जाते हैं और फिर छोड़ दिए जाते हैं। आज यह मेरी बारी है, लेकिन कल यह आपकी बारी भी आ सकती है।"
आखिर कब तक मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी, माली आदि समाज पर बीजेपी सरकार में टारगेट किलिंग होगी और कब तक अन्याय को सहते रहोगे।।
— YOUTH_ARMY (@Youth_Army_IN) December 13, 2024
घीसालाल सैनी और ब्रजमोहन सैनी विराटनगर विधानसभा के प्रागपुरा थाने क्षेत्र के परिवार पर भूमाफियाओं हेमंत धनकड़ , दोलूराम जाट नितेंद्र मानव ने लगभग 100… pic.twitter.com/GRLMKP2oXq
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि सोशल मीडिया के जरिए अपनी आवाज़ बुलंद करना जरूरी है, क्योंकि यदि हम आज चुप रहते हैं तो कल कोई हमारी मदद नहीं करेगा। उनका संदेश यह था कि कम से कम अपनी आवाज़ को उठाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करें, क्योंकि धरना-प्रदर्शन में शामिल होना शायद हर किसी के लिए संभव नहीं है, लेकिन ऑनलाइन आवाज़ उठाने से एक बदलाव लाया जा सकता है।
यह मामला इस बात की ओर इशारा करता है कि कैसे भू माफिया और राजनीतिक संरक्षण के दम पर कमजोर वर्गों के खिलाफ अत्याचार हो रहे हैं और उनका उत्पीड़न जारी है। पीड़ित परिवार और उनके समर्थक अब उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे, ताकि समाज में समानता और सुरक्षा का वातावरण बन सके।