परशुराम सेवा संस्थान के मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम में बीजेपी नेत्री मधु मिश्रा द्वारा दिए गए बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है। मधु मिश्रा ने कार्यक्रम में कहा, “आज तुम्हारे सिर पर बैठकर संविधान के सहारे जो राज कर रहे हैं, याद करो वह कभी तुम्हारे जूते साफ किया करते थे। आज तुम्हारे हुजूर हो गए हैं। क्यों हम बंट गए और विभाजित हो गए?”
इस टिप्पणी को लेकर कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने आपत्ति जताई है। मधु मिश्रा के इस बयान को वर्ग विशेष के खिलाफ तीखी टिप्पणी और जातिगत भेदभाव भड़काने वाला करार दिया जा रहा है।
कार्यक्रम में दिया बयान
मधु मिश्रा ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में समाज को जाति और वर्गों में विभाजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “कहीं ऐसा न हो कि 40 साल बाद तुम्हारे बच्चे फिर गुलाम न हो जाएं और उन्हीं लोगों को ‘हुजूर’ कहने लगें जिन्हें आज तुम अपने बराबर बैठाना पसंद नहीं करते।”
मधु मिश्रा ने दी सफाई
जब एबीपी न्यूज संवाददाता ने मधु मिश्रा से उनके बयान पर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि उनके बयान का उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। उन्होंने कहा, “मैं सर्वधर्म संभाव की राजनीति करती हूं। मेरी भावना किसी वर्ग विशेष या समुदाय को आहत करने की नहीं थी। यदि किसी को मेरी बातों से ठेस पहुंची है, तो मैं माफी मांगती हूं।”
हालांकि, जब उनसे यह पूछा गया कि क्या उन्होंने जाति-सूचक शब्दों का इस्तेमाल किया, तो उन्होंने इनकार करते हुए कहा, “मैंने किसी जाति का नाम नहीं लिया। मेरा केवल इतना कहना था कि संविधान में सबको बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए।”
विपक्ष की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के नेता अखिलेश प्रताप सिंह ने मधु मिश्रा के बयान को बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा, “यह बयान बीजेपी की दलित और पिछड़े वर्गों के प्रति असंवेदनशीलता को दिखाता है। मधु मिश्रा ने वही बोला है जो आरएसएस की मानसिकता है। यह दिखाता है कि संविधान में जो अधिकार बाबा साहेब अंबेडकर ने दिए थे, उन्हें ये लोग आज भी स्वीकार नहीं करते।”
सामाजिक संगठनों की नाराजगी
सामाजिक संगठनों ने इस बयान को निंदनीय बताते हुए कहा है कि यह जातिगत विभाजन को बढ़ावा देता है। कई संगठनों ने मांग की है कि बीजेपी को मधु मिश्रा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
राजनीतिक माहौल गर्म
मधु मिश्रा के बयान ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। विपक्षी दल इसे दलित और पिछड़े वर्गों के खिलाफ साजिश करार दे रहे हैं। वहीं, बीजेपी ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
यह विवाद इस बात को उजागर करता है कि जातिगत भेदभाव और संवेदनशील मुद्दों पर नेताओं की टिप्पणियां समाज में कितनी गहरी असहजता पैदा कर सकती हैं। अब देखना यह है कि बीजेपी इस पर क्या रुख अपनाती है और यह मामला आगे कैसे बढ़ता है।
आगे की जानकारी के लिए बने रहें।