नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय प्रवक्ता आदिल हसन ने हाल ही में एक बयान में भारतीय संविधान, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट और विभिन्न धार्मिक स्थलों के विवादों पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा, "यह देश हमारे बाप-दादाओं की कुर्बानियों से आजाद हुआ है। हम किसी के रहमो-करम पर हिंदुस्तान में नहीं हैं। यह मेरी मिट्टी है और हम इसके लिए जान देंगे, इसके लिए लड़ेंगे।" आदिल हसन ने स्पष्ट किया कि इस देश में संविधान सबसे ऊपर है और सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं।
आदिल हसन ने बाबरी मस्जिद के मामले का उल्लेख करते हुए कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि बाबरी मस्जिद को गिराना एक आपराधिक कृत्य था। लेकिन जिस जज ने इस मामले में दोषियों को बरी किया, उन्हें लोकायुक्त बना दिया गया। ऐसे में सवाल क्यों नहीं उठेंगे?"
उन्होंने यह भी कहा कि संसद ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट बनाया है, जिसे सभी को मानना चाहिए। इस कानून के तहत धार्मिक स्थलों की स्थिति 1947 के आधार पर बरकरार रखी जानी चाहिए।
🪩 हेलो मैम यह देश की आजादी में हमारे बाप दादा ने कुर्बानी दी गई है, #AIMIM के राष्ट्रीय प्रवक्ता @AadilHasanAdv1 साहब ,किसी के रहमो करम पे हिंदुस्तानी मुसलमान नहीं हैं, मेरे अपने ही बाप दादा के मुल्क भारत हैं, #VHP #RSS के रहमो करम पे नहीं हैं हम
— IND Story's (@INDStoryS) December 29, 2024
ये मेरे मुल्क हैं, इस मीठी… pic.twitter.com/f84ObyEg0X
अपने बयान में आदिल हसन ने स्वामी विवेकानंद का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "स्वामी विवेकानंद को तो सभी मानते हैं। उन्होंने जगन्नाथ पुरी के बारे में जो कहा है, उस पर गौर करना चाहिए।" इसके साथ ही उन्होंने हरिशंकर जैन के बेटे द्वारा जैन मंदिरों पर दिए गए बयानों की भी आलोचना की।
आदिल हसन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर भी निशाना साधते हुए कहा, "प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को खत्म करने की बात करने वाले संविधान की मूल भावना के खिलाफ जा रहे हैं। बाबा साहेब अंबेडकर ने हमें संविधान दिया है, जो इस देश में सबसे ऊपर है।" उन्होंने मोदी सरकार से सवाल किया कि क्या वह इस कानून को खत्म करना चाहती है।
अपने बयान के अंत में आदिल हसन ने प्रधानमंत्री मोदी की सऊदी अरब के नेताओं के साथ घनिष्ठता पर कटाक्ष करते हुए कहा, "सऊदी में जाकर शेखों से गले मिलते हैं, लेकिन यहां संविधान और कानून की अवहेलना की जाती है।"
आदिल हसन का यह बयान कई विवादों को जन्म दे सकता है, क्योंकि उन्होंने संवैधानिक मुद्दों और धार्मिक विवादों पर खुलकर सवाल उठाए हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि उनके इस बयान पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया कैसी आती है।