15 बीघा भूमि और आवास फर्जी बैनामा से तेजपाल यादव और मुकेश यादव ने कब्जाई, पीड़ित बुजुर्ग न्याय के लिए दर दर भटक रहे, मंत्री ब्रजेश पाठक के पत्र के बाद भी जिलाधिकारी की चुप्पी

लखनऊ, गुरूवार : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार माफिया और दबंगों पर शिकंजा कसने की बात करती है, लेकिन अमरोहा जिले के देहरी खुर्रम गांव का मामला कुछ और ही तस्वीर पेश करता है। यह मामला न केवल भूमि हड़पने और फर्जी दस्तावेजों का है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार दबंग व्यक्ति कानून और प्रशासन का भय नहीं रखते हैं।

भूमि विवाद की पृष्ठभूमि

देहरी खुर्रम गांव के निवासियों बीरबल सिंह, जगदीश सिंह और उनके परिवार ने कृषि भूमि खसरा संख्या 04 (रकबा 1.125 हेक्टेयर) पर लंबे समय से कब्जा बनाए रखा था। उन्होंने अपनी भांजी की शादी के लिए कर्ज लिया और अपनी भूमि के कुछ हिस्से के लिए तेजपाल यादव के साथ इकरारनामा किया। इस इकरारनामा की अवधि एक साल की थी, जिसके बाद प्रार्थीगण ने कर्ज चुकता कर दिया। लेकिन, तेजपाल यादव और उनके पुत्र मुकेश यादव ने प्रार्थीगण को झूठे आश्वासन देकर इस इकरारनामे को खारिज नहीं कराया।

फर्जी बैनामे का खेल

2007 में, प्रार्थीगण के नाम से फर्जी दस्तावेज तैयार कर उनकी जमीन तेजपाल यादव और मुकेश यादव ने अपने नाम करा ली। इन बैनामों में, जो 7 मार्च 2007 और 25 मई 2007 को तैयार हुए थे, प्रार्थीगण का फर्जी अंगूठा निशान और फोटो इस्तेमाल किया गया। फोटो, इकरारनामे पर चस्पा तस्वीरों की नकल कर बनाई गई थी।

इसके बाद यह भूमि मोहम्मद मेराजुल हसन को बेच दी गई। पुलिस और प्रशासन के बल पर मेराजुल हसन ने इस भूमि पर कब्जा कर लिया। इस बीच, प्रार्थीगण ने पंचायत बुलाई और विरोध दर्ज कराया, लेकिन उन्हें महज 2 बीघा 13 बिस्वा भूमि ही वापस मिली।

प्रशासन और दबंगई का गठजोड़?

प्रार्थीगण का आरोप है कि न केवल तेजपाल यादव और मुकेश यादव ने फर्जी बैनामे के माध्यम से उनकी भूमि हड़पी, बल्कि मोहम्मद मेराजुल हसन ने दबंगई दिखाते हुए जमीन पर कब्जा किया और अवैध निर्माण शुरू कर दिया। क्षेत्रीय ग्रामीणों का कहना है कि ये लोग खुलेआम गांव में प्रार्थीगण को धमकाते हैं और उनका जीवन बर्बाद करने की बात करते हैं।

पीड़ितों की मांग

पीड़ित परिवार ने उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार से गुहार लगाई है कि मामले की गहराई से जांच की जाए। वे चाहते हैं कि उनके खिलाफ किए गए फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हो और उनकी कृषि भूमि उन्हें वापस दिलाई जाए। इसके अलावा, दबंगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।

ग्रामीणों में बढ़ती नाराजगी

गांव और आसपास के क्षेत्रों में लोग इस घटना से गुस्से में हैं। स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि प्रशासन के संरक्षण में दबंग लोग गरीब और अनपढ़ लोगों का शोषण कर रहे हैं। नानक नंगली, उमरी कला, और अन्य आस-पास के गांवों के लोगों ने भी इस घटना पर चिंता जाहिर की है।

सरकार और न्यायपालिका की जिम्मेदारी

योगी सरकार में अपराध और माफियागिरी पर जीरो टॉलरेंस की नीति की बात कही जाती है। ऐसे में अमरोहा जिले की यह घटना प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े करती है। अगर समय रहते पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला, तो यह घटना ग्रामीणों के बीच प्रशासन और सरकार के प्रति अविश्वास को और गहरा कर सकती है।

(रिपोर्ट: अमरोहा संवाददाता)

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