नई दिल्ली, विशेष संवाददाता: शिक्षा मंत्रालय ने पांचवीं और आठवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षाओं को लेकर एक बड़ा बदलाव किया है। नए नियमों के तहत, यदि छात्र वार्षिक परीक्षा में असफल होते हैं, तो उन्हें फेल किया जा सकता है। साथ ही, असफल छात्रों को दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। यदि वे पुनः परीक्षा में भी पास नहीं होते, तो उन्हें अगली कक्षा में पदोन्नत नहीं किया जाएगा।
पुरानी व्यवस्था में सुधार
साल 2010-2011 से पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं बंद कर दी गई थीं, और छात्रों को सीधे अगली कक्षा में भेजा जाता था। विशेषज्ञों के अनुसार, इस नीति से स्कूली शिक्षा के स्तर में गिरावट आई थी, जिसका सीधा असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के खराब परिणामों में देखने को मिला।
राज्य सरकारों को मिली छूट
नई व्यवस्था के तहत राज्य सरकारों को अधिकार दिया गया है कि वे चाहें तो इस नियम के अनुसार परीक्षाएं आयोजित कर सकती हैं। हालांकि, राज्यों में इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, जिसे शिक्षा मंत्रालय की अधिसूचना ने स्पष्ट कर दिया है।
'निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन नियम 2024'
शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने नए नियमों को 'निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन नियम 2024' का नाम दिया है। यह नियम अधिसूचना जारी होने के साथ ही सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किए गए हैं और तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की कोशिश
इस कदम का उद्देश्य स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस नियम से छात्रों में शिक्षा के प्रति गंभीरता बढ़ेगी और परीक्षा परिणामों में सुधार होगा।
अब देखना यह होगा कि राज्य सरकारें इस नई व्यवस्था को कितनी जल्दी और किस प्रकार लागू करती हैं। नई नीति से देश में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद की जा रही है।