श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर: अजमेर शरीफ दरगाह विवाद के संदर्भ में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने एक विवादित बयान देते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक शक्तियां धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर अपने वोटबैंक को मजबूत करने का प्रयास कर रही हैं।
इल्तिजा ने कहा, “यह लोग मस्जिद के नीचे मंदिर नहीं ढूंढ रहे हैं, बल्कि उन्हें लगता है कि मस्जिदों के नीचे उनका वोटबैंक मिलेगा। इनका मकसद बहुसंख्यक हिंदू समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करना है, ताकि उन्हें यह लगे कि सरकार उनके पक्ष में काम कर रही है। लेकिन यह सिर्फ धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक उपयोग है।”
धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना गलत: इल्तिजा
इल्तिजा मुफ्ती ने धार्मिक स्थलों को लेकर की जा रही राजनीति की आलोचना करते हुए कहा, “मुसलमानों को पहले से ही सामाजिक और आर्थिक रूप से परेशान किया जा रहा है, और अब उनकी इबादतगाहों को भी निशाना बनाया जा रहा है। यह बहुत गलत है। हमें ऐसे विभाजनकारी एजेंडे से सावधान रहना चाहिए जो समाज को बांटने का काम करते हैं।”
"वह मस्जिद के नीचे मंदिर नहीं ढूंढ रहे उन्हें लगता है मस्जिद के नीचे उन्हें अपना वोटबैंक मिलेगा !!
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) December 5, 2024
क्योंकि इनका बहुसंख्यक वोट हिंदू है जिन्हें यह बहलाना फुसलाना चाहते हैं। उन्हें यह दिखाना चाहते हैं कि मुसलमानों को हमने सामाजिक और आर्थिक रूप से तो परेशान किया ही साथ ही वह जहां… pic.twitter.com/KKXdb7OMDt
अजमेर शरीफ विवाद की पृष्ठभूमि
यह बयान ऐसे समय में आया है जब अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर विवाद गर्मा रहा है। कुछ संगठनों ने धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिकता और मूल संरचनाओं को लेकर सवाल उठाए हैं, जिससे समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया है।
धर्म और राजनीति का गठजोड़
इल्तिजा मुफ्ती ने इसे एक सोची-समझी रणनीति करार देते हुए कहा, “इस तरह की राजनीति का उद्देश्य केवल ध्रुवीकरण है। यह लोग बहुसंख्यक समुदाय को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे उनके हित में काम कर रहे हैं। लेकिन असल में यह समाज के हर तबके के लिए नुकसानदेह है।”
विपक्षी दलों ने जताई चिंता
इस मुद्दे पर कई अन्य विपक्षी नेताओं ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उनका कहना है कि धार्मिक स्थलों का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए करना न केवल संविधान के खिलाफ है, बल्कि देश की धर्मनिरपेक्षता पर भी सीधा हमला है।
इल्तिजा मुफ्ती के इस बयान ने एक बार फिर से धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों पर नई बहस छेड़ दी है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि इस बयान पर सत्तारूढ़ दल और अन्य राजनीतिक पार्टियां क्या प्रतिक्रिया देती हैं।