लखनऊ। राजधानी लखनऊ के बाबूगंज स्थित रामाधीन सिंह इंटर कॉलेज में एक दलित शिक्षक को अपमानित करने का गंभीर मामला सामने आया है। विद्यालय के प्रबंधक शुभम वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने शिक्षक रामशंकर को अपने चेंबर में बुलाकर कुर्सी से उठने और जमीन पर बैठने को मजबूर किया। आरोप है कि प्रबंधक ने अपमानजनक टिप्पणी करते हुए कहा, "कोई दलित मेरे सामने कुर्सी पर बैठे, मुझे पसंद नहीं।"
शिकायत पर शिक्षक संगठन का समर्थन
पीड़ित शिक्षक रामशंकर ने घटना की शिकायत जिला अधिकारी लखनऊ, जिला विद्यालय निरीक्षक, और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के पदाधिकारियों से की है। शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री आर.पी. मिश्रा ने घटना की निंदा करते हुए कहा, "शिक्षक का अपमान किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
उन्होंने बताया कि रामशंकर ने शिकायती पत्र में स्पष्ट किया कि प्रबंधक ने उन्हें एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के माध्यम से बुलवाया। अस्वस्थता के कारण वह कमरे में मौजूद खाली कुर्सी पर बैठ गए, जिससे प्रबंधक और उनके सहयोगी भड़क उठे। इसके बाद प्रबंधक ने अपशब्दों का प्रयोग करते हुए शिक्षक को कुर्सी से उठने को कहा। जब शिक्षक ने वहां से निकलने की कोशिश की, तो प्रबंधक कथित तौर पर उन्हें मारने के इरादे से पीछे दौड़े।
विद्यालय में भय का माहौल
आर.पी. मिश्रा ने आगे बताया कि प्रबंधक शुभम वर्मा के व्यवहार को लेकर पहले भी शिकायतें मिल चुकी हैं। आरोप है कि प्रबंधक विद्यालय में बाहरी अराजक तत्वों को बुलाकर शिक्षकों को डराने-धमकाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक से मांग की है कि प्रबंधक और उनके सहयोगियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पीड़ित शिक्षक को सुरक्षा प्रदान की जाए।
पहले भी हो चुका है विवाद
रामशंकर ने बताया कि इससे पहले भी प्रबंधक ने एक सेवानिवृत्त लिपिक के माध्यम से उन पर जानलेवा हमला करवाया था। इस मामले में एफआईआर दर्ज है और मामला न्यायालय में लंबित है।
शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव
घटना के बाद विद्यालय के अन्य शिक्षक भी डरे हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधक के अनुचित व्यवहार से न केवल शिक्षकों का मनोबल गिरा है, बल्कि छात्रों की पढ़ाई पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
शिक्षक संघ ने प्रशासन से अपील की है कि मामले की जांच कर दोषियों को सजा दी जाए और शिक्षकों का भय समाप्त किया जाए ताकि विद्यालय में शिक्षा का माहौल सामान्य हो सके।
यह घटना जातिगत भेदभाव और कार्यस्थल पर उत्पीड़न का गंभीर उदाहरण है, जिसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है।