नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर मिशा इशी की एक पोस्ट ने भारतीय इतिहास और सामाजिक संरचना के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया। उन्होंने सतारा जिले के अंबावड़े गांव से जुड़ी डॉ. भीमराव अंबेडकर की शुरुआती शिक्षा और उनके सरनेम के ऐतिहासिक संदर्भ पर चर्चा की।
इशी ने बताया कि अंबावड़े, जहां डॉ. अंबेडकर ने अपना बचपन बिताया, एक ऐतिहासिक गांव है। यहीं पर डॉ. अंबेडकर का दाखिला प्रताप सिंह हाई स्कूल में हुआ था, जो शूद्र राजा साहा जी महाराज के परिवार की उदारता का प्रतीक है। यह स्कूल वीर मराठा शूद्र राजाओं द्वारा दान की गई भूमि पर स्थापित किया गया था।
मिशा ने अपनी पोस्ट में लिखा कि "अंबेडकर" सरनेम अंबावड़े गांव से प्रेरित है। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी शासन के दौरान सरकारी स्कूलों में सरनेम की मांग की जाती थी, और इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए लोग अपने रहने के स्थानों के आधार पर सरनेम अपनाते थे।
इशी ने यह भी स्पष्ट किया कि सरनेम का महत्व व्यक्तित्व से अधिक नहीं है। उन्होंने कहा, “आप किसी ब्राह्मण का सरनेम ‘अंबेडकर’ नहीं सुनेंगे, क्योंकि यह जाति आधारित नहीं बल्कि स्थान आधारित है।”
महाराष्ट्र के सतारा में एक गांव है अम्बावड़े ।
— Misha ishi (@shellykiran7) December 20, 2024
अम्बेडकर यहाँ रहते थे , यही pratap Singh high school में वो पहली कक्षा में नौ साल की उम्र में दाखिल हुए और चार साल पढ़े भी थे , ये स्कूल शूद्र राजा साहा जी महाराज के पिता जी और साहू जी द्वितीय के पुत्र के नाम पर प्रताप सिंह हाई… pic.twitter.com/Wd1EN7Vzgb
इस पोस्ट में उन्होंने भारतीय समाज में सरनेम की भूमिका और पहचान पर भी गहराई से विचार व्यक्त किया। उन्होंने यह बताते हुए सरनेम की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित किया कि यह व्यवस्था जाति के बजाय भौगोलिक पृष्ठभूमि पर आधारित थी।
मिशा इशी की इस पोस्ट ने न केवल इतिहास के एक अनदेखे पक्ष को सामने रखा है, बल्कि समाज में व्यक्तित्व के महत्व और समानता पर जोर दिया है। उनके विचार सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से चर्चा का विषय बन गए हैं।
(यह खबर X पर मिशा इशी की पोस्ट पर आधारित है।)