शादी बड़े से, लेकिन पति के सारे भाई भी पति, हिमाचल के इस गांव में घर-जमीन न बंटे इसलिए बंट जाती है पत्नी, जाने अजीब कहानी

सिरमौर, हिमाचल प्रदेश, 27 दिसंबर 2024 – हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले की पहाड़ियों में एक अनोखी परंपरा आज भी जीवित है। ‘जोड़ीदारां’ नाम की इस परंपरा में परिवार की जमीन और संपत्ति को बंटने से बचाने के लिए एक महिला कई भाइयों की पत्नी बनती है। यह परंपरा यहां के हाटी समुदाय में सदियों से चली आ रही है और इलाके की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का गहरा प्रतीक है।

परंपरा और इसकी जड़ें

सिरमौर के ट्रांस-गिरि क्षेत्र में रहने वाले हाटी समुदाय के लोग पीढ़ियों से बहुपतित्व (polyandry) का पालन करते आ रहे हैं। पहाड़ी इलाकों में सीमित कृषि योग्य जमीन के कारण परिवार इसे बांटने के बजाय साझा रखता है। इसी कारण घर की महिला भी साझेदारी में रहती है।

महिलाओं की कहानी

जामना गांव की सुनीला देवी, जो जोड़ीदारां प्रथा में जीवन जी रही हैं, अपनी कहानी बिना झिझक साझा करती हैं। करीब 25 साल पहले वह बड़े भाई की पत्नी बनकर इस घर आई थीं। उस समय छोटे देवर स्कूल में पढ़ते थे। कुछ साल बाद, घरवालों ने उन्हें कहा कि छोटे भाई को भी पति के रूप में अपना लो ताकि परिवार में एकता बनी रहे।

“मुझे कोई विकल्प नहीं दिया गया,” सुनीला कहती हैं। “शुरुआत में अजीब लगता था। डर रहता था कि छोटा देवर कहीं मुझे छोड़कर दूसरी शादी न कर ले। थकी होने पर भी मना नहीं कर पाती थी। लेकिन धीरे-धीरे सब निभ गया।”

अब दोनों भाइयों के साथ उनका जीवन बंटा हुआ है। बड़े भाई और छोटे भाई के साथ उनका समय बारी-बारी से तय होता है। बच्चों को भी बांट लिया गया है—एक बेटा छोटे भाई का माना जाता है, जबकि तीन बच्चे बड़े भाई के हिस्से में आए हैं।

उनकी दुनिया की झलक

सुनीला का घर, जो लकड़ी और एस्बेस्टस से बना है, पहाड़ों की ढलान पर बना हुआ है। घर के आंगन से सीधे पहाड़ों का मिलन होता है। घर के सामने की दीवार पर बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) नंबर और गांव का नाम लिखा हुआ है।

हालांकि उनका जीवन मुश्किलों से भरा रहा, लेकिन सुनीला का जज्बा और हौसला उनकी हर बात में झलकता है। “जब मैं यहां आई, तब हमारे पास कुछ भी नहीं था। एक स्वेटर था, जिसे कभी सास पहनतीं तो कभी मैं। फिर भी मैंने सबकुछ संभाल लिया।”

सामाजिक संदर्भ

कुछ महीनों पहले हाटी समुदाय को केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया। हालांकि, इस प्रथा के चलते महिलाओं को कई बार अपनी इच्छाओं और सहमति की बलि देनी पड़ी। बुजुर्ग इस परंपरा को परिवार की एकता और आर्थिक मजबूती का आधार मानते हैं, लेकिन महिलाओं के हिस्से आई चुनौतियां उनके अनकहे दर्द की कहानी कहती हैं।

परंपरा के सामने सवाल

आधुनिकीकरण और बदलते समाज के साथ अब इस परंपरा पर सवाल उठने लगे हैं। युवा पीढ़ी परिवार चलाने के लिए नई राहें खोज रही है। लेकिन जोड़ीदारां प्रथा का प्रभाव आज भी इन महिलाओं के जीवन को गहराई से प्रभावित करता है।

सुनीला अपने जीवन के अनुभवों को गर्व और दर्द के मिश्रण के साथ कहती हैं, “मुझे खुद को बांटना पड़ा ताकि परिवार एक बना रहे।”

हिमाचल प्रदेश की यह परंपरा बलिदान, संघर्ष और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। यह देखना बाकी है कि यह प्रथा बदलती परिस्थितियों के साथ टिकेगी या खत्म होगी, लेकिन इसका प्रभाव यहां के जीवन और संस्कृति में हमेशा महसूस किया जाएगा।

Rangin Duniya

ranginduniya.com is a Professional Lifestyle, Health, News Etc Platform. Here we will provide you only interesting content, which you will like very much. We're dedicated to providing you the best of Lifestyle, Health, News Etc, with a focus on dependability and Lifestyle. We're working to turn our passion for Lifestyle, Health, News Etc into a booming online website. We hope you enjoy our Lifestyle, Health, News Etc as much as we enjoy offering them to you.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने

INNER POST ADS

Follow Us