झामुमो की चेतावनी जब तक 1.36 लाख करोड़ का भुगतान नहीं - कोयले का एक ढेला भी बाहर जाने नहीं देंगे, ढुलाई की रॉयल्टी भी लेंगे

रांची। झारखंड सरकार द्वारा कोयला रॉयल्टी और राजस्व मद में 1.36 लाख करोड़ रुपए के बकाए की मांग को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। इस कदम के बाद राज्य में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। राज्य की सत्तारूढ़ झामुमो सरकार ने इस मुद्दे पर तीखा रुख अपनाते हुए कहा है कि जब तक बकाया नहीं दिया जाता, तब तक कोयला खदानों से कोयला बाहर नहीं जाने दिया जाएगा।

झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड के हक का पैसा न मिलने पर राज्य सरकार खामोश नहीं रहेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि कोल इंडिया और अन्य निजी खनन कंपनियां पहले राज्य का बकाया चुकाएं, उसके बाद ही खनन कार्य शुरू कर सकेंगी। उन्होंने कहा, "झारखंड के कोयले का एक ढेला भी बाहर नहीं जाएगा। हम राज्य का हर बकाया वसूल करेंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़े।"

राज्य सरकार ने कोयला कंपनियों से बकाया वसूलने के लिए विधिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग ने आदेश जारी करते हुए भू-राजस्व विभाग के विशेष सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। उन्हें हर 15 दिनों में कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट देनी होगी।

केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा कि केंद्र सरकार पर झारखंड का कोई बकाया नहीं है। उन्होंने 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के जीएसटी और सेंट्रल असिस्टेंस का हवाला देकर इस मांग को खारिज कर दिया।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड की मांग पूरी तरह जायज है। उन्होंने भाजपा सांसदों से अपील की कि वे राज्य के बकाए की मांग को संसद और केंद्र में उठाएं। उन्होंने लिखा, "यह झारखंड के विकास के लिए बेहद जरूरी है। हमारी सरकार झुकने वाली नहीं, बल्कि अपने हक के लिए लड़ने वाली सरकार है।"

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार से बकाए का स्पष्ट ब्रेकअप देने की मांग की। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार को वर्षवार और परियोजनावार आंकड़े प्रस्तुत करने चाहिए। अगर बकाए का दावा सही है, तो भाजपा केंद्र सरकार पर दबाव डालेगी।"

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने केंद्र सरकार पर झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 1.36 लाख करोड़ रुपए की मांग खारिज करना झारखंड के अधिकारों का हनन है।

राज्य सरकार ने वाश्ड कोल की रॉयल्टी, भूमि अधिग्रहण, कोल वाश और अन्य मदों में केंद्र पर 1.36 लाख करोड़ रुपए के बकाए का दावा किया है। इसमें वाश्ड कोल की रॉयल्टी के 2,900 करोड़ रुपए और भूमि अधिग्रहण के 1.01 लाख करोड़ रुपए शामिल हैं।

राज्य सरकार इस मामले को 20 दिसंबर को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्री-बजट बैठक में उठाएगी। साथ ही, कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से अपने बकाए की वसूली के लिए तैयार है।

झारखंड के कोयला खदानों से उत्पन्न राजस्व को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच बढ़ता तनाव आने वाले दिनों में और अधिक राजनीतिक टकराव का कारण बन सकता है।

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