बेगूसराय, 12 दिसंबर 2024 — बिहार के बेगूसराय जिले में एक चौंकाने वाली घटना में स्थानीय निवासियों ने जिलाधिकारी तुषार सिंगला को बंधक बना लिया। यह घटना उस समय हुई जब जिलाधिकारी लोहिया नगर रेलवे गुमटी के पास झोपड़पट्टी हटाने के अभियान का नेतृत्व कर रहे थे।
क्या है मामला?
जिलाधिकारी तुषार सिंगला पुलिस बल और जेसीबी के साथ बेगूसराय रेलवे स्टेशन के पास लोहिया नगर गुमटी किनारे अवैध रूप से बनी झोपड़पट्टियों को हटाने पहुंचे थे। स्थानीय निवासियों ने इस कार्रवाई का विरोध किया और स्थिति बिगड़ गई। इसी दौरान जिलाधिकारी निरीक्षण के लिए रेलवे गुमटी के पास स्थित संग्रहालय में पहुंचे, जहां आक्रोशित भीड़ ने उन्हें घेर लिया और बंधक बना लिया।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें झोपड़पट्टियां खाली करने का कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं दिया। उनका आरोप है कि यह कदम अचानक उठाया गया, जिससे वे अपने बच्चों और परिवार के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।
घटना की सूचना मिलते ही जिला पुलिस बल और वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। भीड़ को समझाने और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। जिलाधिकारी को सुरक्षित निकालने के लिए पुलिस ने स्थानीय नेताओं और प्रतिनिधियों की मदद ली।
स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी को बंधक बना लिया !!
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) December 13, 2024
बेगूसराय में जिलाधिकारी को बनाया बंधक,
झोपड़ पट्टी हटाने के लिए गए थे जिलाधिकारी, डीएम तुषार सिंगला को लोगों ने बनाया बंधक !!
जिलाधिकारी बेगूसराय रेलवे स्टेशन के पास लोहिया नगर गुमटी किनारे बनी झोपड़पट्टी को हटाने के लिए पुलिस और… pic.twitter.com/JoqFogxPmV
तुषार सिंगला ने बाद में कहा, "हमारी प्राथमिकता कानून व्यवस्था बनाए रखना है। झोपड़पट्टियों को हटाने का निर्णय सुप्रीम कोर्ट और रेलवे के आदेशों के अनुपालन में लिया गया है। प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए उचित प्रबंध किए जाएंगे।"
लोहिया नगर गुमटी के आसपास की झोपड़पट्टियों में वर्षों से सैकड़ों परिवार रह रहे हैं। यह इलाका रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा माना जाता है। हालांकि, वहां रहने वाले लोग इसे अपनी आजीविका और आश्रय का एकमात्र साधन बताते हैं।
स्थानीय निवासियों और समाजसेवी संगठनों ने मांग की है कि झोपड़पट्टी हटाने से पहले लोगों को पुनर्वास की वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान की जाए।
प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया गया है जो प्रभावित परिवारों की समस्या का समाधान निकालेगी। जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि आगे कोई भी कार्रवाई लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए की जाएगी।
यह घटना प्रशासन और जनता के बीच संवाद की कमी को उजागर करती है। ऐसे मामलों में दोनों पक्षों के बीच आपसी समझ और समन्वय आवश्यक है ताकि कानून का पालन करते हुए मानवीय दृष्टिकोण बनाए रखा जा सके।