नई दिल्ली। सीरिया में लंबे समय से सत्ता पर काबिज असद सरकार का अंत हो गया है, और अब सत्ता विद्रोही गुटों के हाथों में चली गई है। इस बड़े राजनीतिक बदलाव के साथ ही अंतरराष्ट्रीय सेनाओं ने सीरिया में अपने हमले तेज कर दिए हैं। इज़राइल, अमेरिका और तुर्की की सेनाओं ने सीरिया के कई इलाकों पर बमबारी की है।
इन देशों का दावा है कि उनका उद्देश्य सीरिया से आतंकवाद का खात्मा करना है। लेकिन वर्षों से गृहयुद्ध झेल रहे सीरिया में इस सत्ता परिवर्तन ने दुनिया भर में बहस छेड़ दी है। इस युद्धग्रस्त देश से आने वाली कई कहानियां लोगों का ध्यान खींच रही हैं।
युद्ध ने बर्बाद किया देश
लंबे समय से जारी गृहयुद्ध ने सीरिया को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। परिवार टूट चुके हैं, और सबसे अधिक असर महिलाओं, बच्चों और युवा लड़कियों पर पड़ा है। फिनलैंड के अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र की सीरिया कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि यहां की युवा लड़कियों को मजबूरी में शादी करनी पड़ रही है। युद्ध के कारण लाखों लोगों की जान जा चुकी है, और बड़ी संख्या में लोग अपना देश छोड़कर जा चुके हैं।
सामाजिक चुनौतियां और असंतुलन
युद्ध के कारण देश की जनसंख्या में बड़ा असंतुलन देखने को मिला है। खासकर युवाओं पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है। सेना में भर्ती और युद्ध में मारे जाने के कारण देश में पुरुषों की संख्या घट गई है, जिससे महिलाओं के लिए विवाह जैसे सामाजिक संबंध मुश्किल हो गए हैं।
एक सर्वे के मुताबिक, लगभग 70% सीरियाई महिलाएं अविवाहित रह रही हैं। हालात इतने खराब हैं कि कई महिलाएं अपने से काफी बड़े पुरुषों के साथ शादी करने और संबंध बनाने को मजबूर हैं। ये रिश्ते अक्सर आर्थिक और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं।
वैश्विक प्रतिक्रिया और भविष्य
जहां सीरिया इस बदलाव से जूझ रहा है, वहीं अंतरराष्ट्रीय शक्तियां अपने हित साधने के लिए संघर्ष को और जटिल बना रही हैं। इन हमलों के पीछे आतंकवाद खत्म करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इसका असल असर देश की जनता पर पड़ रहा है।
असद सरकार का पतन सीरिया के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, लेकिन यह बदलाव देश में स्थिरता लाएगा या समस्याएं और बढ़ाएगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है।