वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के मदनपुरा इलाके में 300 साल पुराने एक बंद मंदिर के विवाद ने तूल पकड़ लिया है। ‘ढूंढे काशी’ नामक संस्था ने इस मंदिर को खोजने का दावा किया है, जिसे सिद्धिश्वर महादेव का मंदिर बताया जा रहा है। स्कन्ध पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है। बताया जा रहा है कि यह मंदिर करीब 40 सालों से बंद पड़ा है।
मंदिर को लेकर बढ़ा विवाद
जैसे ही हिंदू समुदाय को इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी मिली, उन्होंने वहां पूजा-पाठ शुरू करने की मांग कर दी। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मंदिर हमेशा से बंद रहा है और इस पर किसी पूजा-अर्चना का प्रमाण नहीं है।
मकान में रहने वाले शहाबुद्दीन ने बताया कि यह संपत्ति 1916 में उनके बुजुर्ग ताज बाबा ने खरीदी थी। उस समय इसमें कोई शिवलिंग या पूजा सामग्री नहीं थी। उन्होंने कहा कि मंदिर के स्वरूप को यथावत रखा जाएगा, लेकिन पूजा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
प्रशासन ने किया स्थल का निरीक्षण
मदनपुरा के गोल चबूतरे के पास स्थित इस बंद मंदिर के सामने पूजा की मांग को लेकर हंगामा होने पर पुलिस ने स्थिति को संभाला। एडीएम सिटी आलोक वर्मा और डीसीपी काशी जोन गौरव वंशवाल ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। प्रशासन ने प्रॉपर्टी के दस्तावेज मंगाए हैं और एएसआई से मदद की अपील की है।
श्री काशी विद्वत परिषद का हस्तक्षेप
मामले में श्री काशी विद्वत परिषद ने मंदिर को पौराणिक सिद्ध करने का दावा किया है और सरकार से मांग की है कि यहां नियमित पूजा और दर्शन की व्यवस्था कराई जाए। परिषद ने मुस्लिम समुदाय से अपील की है कि यह मंदिर हिंदुओं को सौंप दिया जाए।
शांति बनाए रखने की अपील
फिलहाल, पुलिस और प्रशासन ने मंदिर के आसपास सुरक्षा के लिए पीएसी तैनात कर दी है। दस्तावेजों की जांच के बाद ही मंदिर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
यह मामला धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ सामुदायिक सौहार्द्र के लिए भी अहम बन गया है। प्रशासन से अपील की जा रही है कि किसी भी निर्णय से पहले सभी पक्षों की बात सुनी जाए।