उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में हाल ही में एक दिलचस्प मामला सामने आया है, जिसमें 70 मुस्लिम परिवारों ने दावा किया कि उनके पूर्वज ब्राह्मण थे और उन्होंने अपने सरनेम को बदलकर दुबे, मिश्रा, शुक्ला और तिवारी जैसे हिन्दू नाम अपनाए हैं। इस बदलाव को लेकर गांव में और आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का माहौल है। क्या यह मुसलमानों का घर वापसी की ओर कदम बढ़ाना है? क्या वे अब सनातन धर्म की ओर लौटने की कोशिश कर रहे हैं? ये सवाल पूरे क्षेत्र में गूंज रहे हैं।
गांव का परिचय और विवाद की शुरुआत: यह गांव लखनऊ से 235 किलोमीटर, अयोध्या से 150 किलोमीटर और संभल से 645 किलोमीटर दूर स्थित है। गांव में लगभग 6,000 मुस्लिम और 5,000 हिन्दू रहते हैं। यहाँ के 70 मुसलमानों ने अपने पूर्वजों के ब्राह्मण होने का दावा करते हुए अपने सरनेम बदलकर हिन्दू नाम अपनाए हैं। उनका कहना है कि उनका पूर्वज लाल बहादुर दुबे ब्राह्मण थे, और इसी वजह से उन्होंने अपने परिवार का नाम दुबे रखा।
क्या मुसलमानों ने इस्लाम छोड़ दिया है? इन मुसलमानों का दावा है कि उन्होंने इस्लाम नहीं छोड़ा है। वे बताते हैं कि उन्होंने केवल अपने पूर्वजों के सम्मान में और अपनी जड़ों को पहचानने के लिए हिन्दू नाम अपनाए हैं। उनका कहना है कि वे अब छोटे कपड़े और मुगलाई खानपान से दूर हो गए हैं और अधिक पारंपरिक हिन्दू जीवनशैली अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।
विशाल भारत संस्थान की भूमिका: इस बदलाव में विशाल भारत संस्थान की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो हिंदुस्तानी मुसलमानों को उनकी जड़ों से जोड़ने के लिए काम कर रहा है। इस संस्थान के लोग पुराने कागजात और गजेटियर की मदद से मुसलमानों के पूर्वजों की पहचान करने का काम कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में गाजीपुर, सिकरवार और आजमगढ़ जैसे क्षेत्रों से लोग जुड़ रहे हैं।
समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया: यह बदलाव समाज में मिलाजुला प्रभाव डाल रहा है। कुछ लोग इस परिवर्तन का स्वागत कर रहे हैं और इसे एक अच्छा कदम मानते हैं, जबकि कुछ कट्टरपंथी मुसलमान इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह इस्लाम के खिलाफ है और ऐसे लोगों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है।
कुल मिलाकर: उत्तर प्रदेश के इस गांव का मामला उस बदलाव का हिस्सा हो सकता है, जो धीरे-धीरे अन्य स्थानों पर भी फैल सकता है। क्या यह मुसलमानों का घर वापसी की ओर कदम है या वे अपनी जड़ों को फिर से पहचानने की कोशिश कर रहे हैं? समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह सवाल बना हुआ है कि क्या मुसलमान अब सनातन धर्म की ओर लौटना चाहते हैं या यह महज एक पहचान का सवाल है।