मुंबई, 16 दिसंबर: परभणी जिला जेल में 35 वर्षीय सोमनाथ व्यंकट सूर्यवंशी की मौत ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। सूर्यवंशी, जो महाराष्ट्र की खानाबदोश जनजाति (एनटी) वडार समुदाय से ताल्लुक रखते थे और कानून के छात्र थे, की मौत को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर कई चोटों के निशान मिलने की बात सामने आई है, जिससे यह मामला और गंभीर हो गया है।
क्या था मामला?
सोमनाथ व्यंकट सूर्यवंशी को 10 दिसंबर को परभणी के शास्त्री नगर में हुई हिंसा के आरोप में हिरासत में लिया गया था। इस हिंसा का कारण संविधान की प्रति के कथित अपमान को लेकर उपजा गुस्सा था। उनके साथ 50 अन्य दलित-बहुजन युवकों को भी हिरासत में लिया गया। 14 दिसंबर को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था, लेकिन कुछ ही घंटों बाद परभणी जिला जेल में उनकी मौत हो गई।
Somnath Suryawanshi’s postmortem report.
— Prakash Ambedkar (@Prksh_Ambedkar) December 16, 2024
IMMEDIATE CAUSE WHICH CAUSED DEATH — 𝐒𝐇𝐎𝐂𝐊 𝐅𝐎𝐋𝐋𝐎𝐖𝐈𝐍𝐆 𝐌𝐔𝐋𝐓𝐈𝐏𝐋𝐄 𝐈𝐍𝐉𝐔𝐑𝐈𝐄𝐒. pic.twitter.com/9jTgxuk0Qz
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का खुलासा
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर कई चोटों के निशान पाए गए हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि उनकी मौत प्राकृतिक थी या किसी हिंसक घटना का नतीजा। यह खुलासा तब और चौंकाने वाला है जब जेल प्रशासन ने पहले दावा किया था कि सूर्यवंशी ने "सीने में दर्द" की शिकायत की थी और उन्हें तुरंत परभणी के सिविल अस्पताल ले जाया गया था।
जांच पर उठे सवाल
नांदेड़ रेंज के विशेष महानिरीक्षक (आईजी) शाहजी उमाप, जो इस मामले की जांच का नेतृत्व कर रहे हैं, ने कहा, "सूर्यवंशी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मिले चोटों के निशान चिंताजनक हैं। यह गंभीर जांच की मांग करता है।"
परिवार और समुदाय की मांग
सूर्यवंशी के परिवार ने इस मौत को "संदिग्ध" बताते हुए न्याय की मांग की है। वडार समुदाय और दलित-बहुजन संगठनों ने इसे हिरासत में मौत का मामला बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह मामला पुलिस और जेल प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल उठाता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
घटना को लेकर महाराष्ट्र में दलित और बहुजन समाज में रोष बढ़ता जा रहा है। कई राजनीतिक दलों ने मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। बहुजन नेताओं का कहना है कि यह घटना केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि समाज के हाशिए पर खड़े समुदायों के प्रति व्यवस्था के रवैये को उजागर करती है।
आगे की कार्रवाई
महाराष्ट्र सरकार ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। मानवाधिकार संगठनों ने भी मामले की निगरानी शुरू कर दी है।
सोमनाथ व्यंकट सूर्यवंशी की मौत केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारे न्याय और मानवाधिकार व्यवस्था पर एक कड़ा सवाल भी खड़ा करती है। आने वाले दिनों में इस मामले की जांच और निष्कर्ष पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।