पटना, 28 दिसंबर – बिहार की राजनीति में बीते कुछ हफ्तों से चल रही उथल-पुथल आखिरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान के साथ कुछ शांत होती दिख रही है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के 14 दिसंबर को दिए गए बयान ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में नेतृत्व को लेकर हलचल मचा दी थी। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी ने भाजपा और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के बीच संबंधों को लेकर अटकलें तेज कर दी थीं।
हालांकि, सीतामढ़ी में अपनी प्रगति यात्रा के दौरान गुरुवार को नीतीश कुमार ने स्पष्ट कर दिया कि अब वह एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे और राज्य व देश के विकास के लिए साथ काम करेंगे। उन्होंने कहा, "हम दो बार गलती से महागठबंधन में गए थे। अब हम हमेशा एनडीए के साथ रहेंगे और बिहार के साथ देश का विकास करेंगे।"
अमित शाह के बयान से शुरू हुआ विवाद
14 दिसंबर को दिल्ली में एक टीवी कार्यक्रम के दौरान अमित शाह ने बिहार में नेतृत्व को लेकर सवालों का जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि 2025 के चुनावों में नेतृत्व का फैसला एनडीए के शीर्ष नेतृत्व द्वारा तय किया जाएगा। शाह के इस बयान को भाजपा द्वारा नीतीश के नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता के संकेत के रूप में देखा गया।
इसके बाद बिहार भाजपा के नेताओं ने स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। वहीं, कई भाजपा नेताओं ने भी उनके बयान को दोहराया। लेकिन इस बीच, नीतीश कुमार की चुप्पी ने अटकलों को और हवा दी।
भाजपा ने दिया समर्थन, नीतीश ने तोड़ी चुप्पी
इस विवाद के बीच हरियाणा के सूरजकुंड में भाजपा के कोर ग्रुप की बैठक हुई, जिसमें बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव पर चर्चा की गई। 23 दिसंबर को भाजपा ने औपचारिक रूप से ऐलान किया कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा और वह ही एनडीए के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। भाजपा नेताओं, जिनमें गिरिराज सिंह और विजय कुमार सिन्हा शामिल थे, ने भी इसे दोहराया।
गुरुवार को नीतीश कुमार ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए इस मुद्दे पर साफ बयान दिया। उन्होंने कहा कि अब एनडीए के साथ उनकी पार्टी हमेशा रहेगी और विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी।
चुनाव की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दल
बिहार विधानसभा के चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने की संभावना है। 2020 में हुए चुनाव में एनडीए को बहुमत मिला था और नीतीश के नेतृत्व में सरकार बनी थी। हालांकि, 2022 में नीतीश कुमार महागठबंधन में चले गए थे और आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
जनवरी 2024 में नीतीश ने फिर से एनडीए में वापसी की और तब से वह कई बार कह चुके हैं कि अब वह कहीं नहीं जाएंगे। उनकी हालिया घोषणा ने एनडीए में स्थिरता की उम्मीदों को बल दिया है।
बिहार की राजनीति में एनडीए और जेडीयू के बीच हाल के घटनाक्रमों ने यह साफ कर दिया है कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। भाजपा और जेडीयू के नेताओं ने इस फैसले पर अपनी सहमति जताई है। अब देखना होगा कि अगले साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में यह गठबंधन कैसा प्रदर्शन करता है।