बदायूं, उत्तर प्रदेश: बौद्ध भिक्षु भंते सुमित रतन ने एक वीडियो जारी कर बदायूं के ऐतिहासिक बौद्ध स्थल पर जबरन कब्जे के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह स्थल, जिसे मझिया के नाम से जाना जाता है, ऐतिहासिक रूप से बौद्धों का केंद्र रहा है और सम्राट अशोक के शासनकाल में एक बौद्ध मठ के रूप में स्थापित किया गया था। यह स्थल पाली भाषा और धम्म लिपि में लिखे गए अभिलेखों से प्रमाणित हुआ है।
भंते सुमित रतन के अनुसार, यह मठ लगभग 25 बीघे क्षेत्र में फैला हुआ है, जहां 1820 वर्षों से बौद्ध भिक्षु निवास करते आ रहे हैं। यहां भगवान बुद्ध और बाबा साहब की प्रतिमाओं के साथ कई कमरे, तालाब, और सैकड़ों वृक्ष मौजूद हैं।
आरएसएस और भाजपा पर लगाए आरोप
भंते सुमित रतन ने वीडियो में दावा किया कि हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पुलिस की मदद से इस स्थल पर कब्जा कर लिया। उन्होंने कहा कि इन संगठनों ने वहां बौद्ध भिक्षुओं को झूठे आरोपों में फंसाकर हटाने का षड्यंत्र रचा। इसके बाद जबरन हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित कर इस स्थान पर अपना अधिकार जमाया।
इतिहास और महत्व
भंते के अनुसार, यह स्थल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इसे बौद्ध मठ के रूप में पहचाना गया था और इस पर बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव रहा है। यह स्थान बौद्ध धर्म और इतिहास के शोधकर्ताओं के लिए भी एक अमूल्य धरोहर है।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
वीडियो में भंते सुमित रतन ने स्थानीय प्रशासन और पुलिस पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने आरएसएस और भाजपा के साथ मिलकर इस जबरन कब्जे को अंजाम दिया। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में पुलिस अधीक्षक से बात करने के बावजूद, बौद्ध भिक्षुओं की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
बौद्ध समुदाय में आक्रोश
इस घटना के बाद बौद्ध समुदाय में आक्रोश फैल गया है। उन्होंने इस कब्जे को धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर पर हमला बताते हुए इसे बौद्ध धर्म और संस्कृति के खिलाफ साजिश करार दिया।
अपील और संभावित कदम
भंते सुमित रतन ने केंद्र और राज्य सरकार से अपील की है कि इस ऐतिहासिक स्थल को बौद्ध समुदाय को वापस सौंपा जाए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी इस मुद्दे पर ध्यान देने और न्याय की मांग की है।
यह घटना धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा और उनके उचित संरक्षण के महत्व को रेखांकित करती है। प्रशासन और संबंधित अधिकारियों से इस मामले की निष्पक्ष जांच और समाधान की मांग की जा रही है।