रायबरेली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की ओर से हाल ही में जारी की गई मंडल अध्यक्षों की सूची को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इस सूची में एक ऐसे व्यक्ति का नाम शामिल है, जिनका निधन दो साल पहले हो चुका है। इस घटना ने न केवल पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सूची तैयार करने में गहरी लापरवाही बरती गई है।
सूची में मृत व्यक्ति का नाम रायबरेली जिले के बीजेपी मंडल अध्यक्षों की सूची में संजय मौर्य का नाम शामिल किया गया है। गौरतलब है कि संजय मौर्य का निधन 18 मई 2022 को हो चुका था। इसके बावजूद, उन्हें इस सूची में जिला प्रतिनिधि के रूप में नामित किया गया है। यह मामला सामने आने के बाद पार्टी और प्रशासनिक स्तर पर हलचल मच गई है।
पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष इस प्रकरण से पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं में नाराजगी है। कई कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए हैं कि क्या पार्टी नेतृत्व जमीनी हकीकत से पूरी तरह अनभिज्ञ है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि इस तरह की घटनाएं पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
पार्टी की प्रतिक्रिया बीजेपी के जिला नेतृत्व ने इस गलती को स्वीकार किया है और इसे "अनजाने में हुई त्रुटि" बताया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और संबंधित व्यक्तियों से जवाब मांगा गया है। भविष्य में ऐसी गलतियां न हों, इसके लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।”
रायबरेली
— हिन्दी ख़बर | Hindi Khabar 🇮🇳 (@HindiKhabar) December 31, 2024
⏩ जिले में बीजेपी ने मंडल अध्यक्षों की सूची जारी
⏩ बीजेपी में मुर्दो की नियुक्ति हुई
⏩ जिस नेता की 2 साल पहले मौत हुई, बीजेपी ने उसे जिला प्रतिनिधि बनाया
⏩ संजय मौर्य की 18 मई 2022 को मौत हुई थी
⏩ रायबरेली में जारी लिस्ट बनी चर्चा का विषय#uttarpradesh… pic.twitter.com/Ri0eLBA0cO
चर्चा का विषय बनी सूची इस घटना ने रायबरेली ही नहीं, बल्कि राज्यभर में चर्चा का विषय बना दिया है। विपक्षी दलों ने भी इसे लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता ने कहा, “यह घटना दिखाती है कि बीजेपी का संगठन कितना असंगठित है। अगर वे अपने प्रतिनिधियों की स्थिति नहीं जानते, तो जनता की समस्याओं को कैसे समझेंगे?”
भविष्य की दिशा यह घटना पार्टी के लिए एक चेतावनी के रूप में देखी जा रही है। सूची जारी करने से पहले पर्याप्त जांच-पड़ताल की आवश्यकता है। पार्टी कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि इस प्रकरण के बाद संगठन के कामकाज में पारदर्शिता और सावधानी बढ़ेगी।
फिलहाल, इस घटना ने बीजेपी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और आने वाले दिनों में पार्टी को इस मुद्दे से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।