16 दिसंबर, संभल: संभल जिले के एक गांव में 46 साल बाद एक मंदिर का ताला खुला, जिससे लंबे समय से चली आ रही अतिक्रमण की अफवाहों का खंडन हुआ है। पहले यह कहा जा रहा था कि मंदिर पर मुस्लिम समुदाय ने कब्जा कर लिया था, लेकिन संपत्ति के असली मालिकों ने साफ किया कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।
मंदिर, जो एक निजी घर के भीतर बनाया गया था, दशकों पहले मालिकों के निजी कारणों से गांव छोड़ने के बाद से बंद था। मीडिया से बात करते हुए मकान मालिक ने बताया, "कभी किसी ने अतिक्रमण नहीं किया। अगर ऐसा कुछ होता, तो मंदिर कब का तोड़ दिया गया होता या मस्जिद में बदल दिया गया होता। लेकिन हमारा मंदिर हमेशा सुरक्षित रहा।"
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— Abhimanyu Singh Journalist (@Abhimanyu1305) December 16, 2024
👉🏾 46 साल बाद मुस्लिमों के अतिक्रमण से आजाद कराया गया मंदिर, खोला गया मंदिर का ताला। मुस्लिमों के डर से गांव छोड़कर भाग गए थे हिन्दू🤔
👉🏾 लेकिन ऐसा कुछ नहीं था मंदिर में किसी का अतिक्रमण नहीं था, वो तो जिन्होंने मंदिर बनाया था निजी कारणों के चलते पलायन किया था।
👉🏾 मंदिर… pic.twitter.com/mDKxGoOakE
मंदिर के ताले के पीछे की सच्चाई
मंदिर को इसके मालिकों ने अपने निजी स्थान पर बनवाया था, लेकिन बाद में उन्होंने आर्थिक और व्यक्तिगत कारणों से वह जगह छोड़ दी और मंदिर की चाबी भी साथ ले गए। उनकी अनुपस्थिति और मंदिर का बंद रहना अफवाहों का कारण बन गया, जिससे यह भ्रम फैल गया कि मंदिर पर कब्जा कर लिया गया है। हालांकि, परिवार ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।
“पूजा पर कभी कोई रोक-टोक नहीं थी। मंदिर सुरक्षित था और वहां कोई भी पूजा कर सकता था। अतिक्रमण को लेकर जो भी अफवाहें फैलीं, वे पूरी तरह से बेबुनियाद हैं,” मकान मालिक ने जोर देकर कहा।
अफवाहों पर लगा विराम
साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए प्रसिद्ध इस गांव में, अफवाहों के कारण अनावश्यक तनाव देखने को मिला। लेकिन अब मंदिर के दोबारा खुलने और मालिकों द्वारा सच्चाई बताए जाने के बाद विश्वास बहाल हुआ है। यह घटना साबित करती है कि अफवाहों के बजाय तथ्यों की पुष्टि करना कितना जरूरी है।
स्थानीय नेताओं ने लोगों से आपसी भाईचारे को मजबूत करने और ऐसी अफवाहों से बचने की अपील की है जो समाज की शांति को भंग कर सकती हैं।