मधेपुरा (बिहार): मधेपुरा जिले में एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां एक वरिष्ठ अधिकारी पर जातिगत आधार पर हिंसा और अपमान का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि मधेपुरा के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (ADM) शिशिर कुमार मिश्रा ने बैडमिंटन के खेल में हारने के बाद कुर्मी समाज के एक युवा खिलाड़ी, राज कुमार, के साथ दुर्व्यवहार किया।
जानकारी के अनुसार, ADM मिश्रा और राज कुमार बैडमिंटन खेल रहे थे। खेल के दौरान राज ने ADM को हरा दिया। इसके बाद, गुस्से से तिलमिलाए ADM मिश्रा ने कथित तौर पर गाली-गलौज की और रैकेट से राज कुमार की पिटाई कर दी।
जातिगत अत्याचार का आरोप:
यह घटना सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। लोग इसे जातिगत भेदभाव और सत्ता के दुरुपयोग का गंभीर मामला बता रहे हैं। मधेपुरा जिले, जो कभी समाजवाद का गढ़ माना जाता था, में ऐसी घटनाओं ने प्रशासन और समाज दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया:
घटना के बाद, कुर्मी समाज के लोगों और सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। कई संगठनों ने कहा है कि अगर जल्द से जल्द ADM मिश्रा पर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा।
मिश्रा ADM ने गेम हारने पर कुर्मी लड़के का सर फोड़ा
— Alok Chikku (@AlokChikku) December 1, 2024
सामंती लोग भले किसी संवैधानिक पद पर चले जाएं लेकिन छोटी जाति से आने वाले लोगों पर अत्याचार करना बंद नहीं करते हैं।
समाजवादियों का गढ़ रहा मधेपुरा जिले में सामंती सोच के अधिकारियों का इतना हौसला बुलंद हो गया कि वह माँ की गाली… pic.twitter.com/ENfrxTgg2y
मुख्यमंत्री को घेरा गया:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, विशेषकर X (पूर्व ट्विटर), पर लोगों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टैग कर घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ADM मिश्रा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और चेतावनी दी कि यदि न्याय नहीं मिला तो सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
राजनीतिक बयानबाजी:
घटना पर विपक्षी दलों ने भी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि बिहार में पिछड़े समाजों के प्रति बढ़ती हिंसा और अधिकारियों की मनमानी सरकार की विफलता को दर्शाती है।
ADM मिश्रा की प्रतिक्रिया:
ADM शिशिर कुमार मिश्रा ने अब तक इस मामले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है। प्रशासनिक स्तर पर भी इस घटना की जांच या कार्रवाई की पुष्टि नहीं हुई है।
निष्कर्ष:
यह घटना सिर्फ एक खेल से जुड़ी नहीं है, बल्कि यह जातिगत भेदभाव, सत्ता के दुरुपयोग, और समाज में गहराते विभाजन का प्रतीक है। अब देखने वाली बात होगी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।