डिप्रेशन या मानसिक तनाव आज की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक बन चुका है। कई लोग इसके शिकार हो जाते हैं और उन्हें यह समझ नहीं आता कि इसका मूल कारण क्या है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, डिप्रेशन के संकेत हमारी कुंडली में छिपे हो सकते हैं। ग्रहों की चाल और उनकी स्थिति व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। आइए जानते हैं कुंडली में डिप्रेशन के संकेत, इसके ज्योतिषीय कारण और समाधान।
कुंडली में डिप्रेशन के संकेत
चंद्रमा की स्थिति कमजोर होना
चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक ग्रह है। अगर कुंडली में चंद्रमा पाप ग्रहों के प्रभाव में हो या नीच का हो, तो व्यक्ति मानसिक तनाव और डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।छठे, आठवें और बारहवें भाव का प्रभाव
इन भावों का संबंध परेशानियों, बाधाओं और मानसिक समस्याओं से होता है। यदि इन भावों पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, तो व्यक्ति को मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।राहु और केतु का प्रभाव
राहु और केतु भ्रम और मानसिक उलझनों के प्रतीक माने जाते हैं। यदि इन ग्रहों का संबंध चंद्रमा या लग्न से हो, तो यह व्यक्ति को मानसिक अस्थिरता की ओर ले जा सकता है।शनि का चंद्रमा पर प्रभाव
अगर कुंडली में शनि चंद्रमा को देख रहा हो या उस पर प्रभाव डाल रहा हो, तो इसे "शनि-चंद्र योग" कहा जाता है। यह व्यक्ति को अवसाद और तनाव की स्थिति में ला सकता है।
डिप्रेशन के ज्योतिषीय कारण
- अशुभ ग्रहों की दशा और महादशा।
- पाप ग्रहों का चंद्रमा पर प्रभाव।
- नीच के ग्रहों का लग्न और चतुर्थ भाव पर असर।
- ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति और अशुभ योग।
डिप्रेशन से बचाव के उपाय
चंद्रमा को मजबूत करना
- नियमित रूप से भगवान शिव की पूजा करें और उन्हें जल अर्पित करें।
- सोमवार का व्रत रखें और सफेद वस्त्र धारण करें।
- मोती या चंद्रकांत मणि धारण करें।
शनि का उपाय
- शनि देव की पूजा करें और शनि चालीसा का पाठ करें।
- जरूरतमंदों को काले वस्त्र और काली उड़द का दान करें।
- शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
गायत्री मंत्र और ध्यान
- गायत्री मंत्र का जाप मानसिक शांति के लिए अत्यंत प्रभावी है।
- नियमित ध्यान और प्राणायाम करें।
राहु-केतु के लिए उपाय
- मंदिर में नारियल और तिल दान करें।
- राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
अन्य उपाय
- चतुर्थ और बारहवें भाव को मजबूत करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- नियमित रूप से सूर्य को जल चढ़ाएं।