बुढ़ापे को अलविदा कहें: इस पौधे से पाएं जवानी का एहसास

 

आयुर्वेद के क्षेत्र में, प्राकृतिक औषधियों का विशेष स्थान है, और उनमें से एक है पुनर्नवा, जो अपनी बहुउपयोगी गुणों के कारण स्वास्थ्य समस्याओं के लिए अद्भुत उपाय माना जाता है। एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक विशेषज्ञ, डॉ. रूपाली जैन ने हाल ही में अपने यूट्यूब चैनल "आयुर्वेद फॉर एवरीवन" पर पुनर्नवा के गुणों और उपयोगों के बारे में एक विस्तृत वीडियो साझा किया।

पुनर्नवा का परिचय

पुनर्नवा, एक आयुर्वेदिक औषधि, जिसका नाम ही "पुनः नवम" यानि शरीर को फिर से नया करने वाला है। गर्मियों में यह पौधा सूख जाता है, लेकिन बारिश के बाद यह फिर से हरा-भरा हो जाता है, ठीक उसी तरह यह शरीर को भी पुनर्जीवित करने में मदद करता है। इस पौधे का उपयोग सेल रीजनरेशन, प्राकृतिक डिटॉक्स, और एंटी-एजिंग के लिए किया जाता है। 

पुनर्नवा के 5 प्रमुख लाभ

1. किडनी और मूत्र संबंधी समस्याएं: पुनर्नवा एक प्राकृतिक डाइयूरेटिक औषधि है, जो शरीर में जल तत्व को नियंत्रित करने में मदद करती है। यदि कोई व्यक्ति बार-बार मूत्र के लिए जाता है लेकिन फ्लो स्पष्ट नहीं है, तो पुनर्नवा इसका बेहतरीन उपाय है। यह किडनी स्टोन, यूटीआई, और शरीर में जल संचय जैसी समस्याओं में भी उपयोगी है।

2. पाचन और मेटाबोलिज्म सुधार: पुनर्नवा का उपयोग अग्नि (जठराग्नि) को बढ़ाने और भूख कम होने पर पाचन को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। यह पेट में सूजन, गैस, भारीपन, और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत दिलाता है। 

3.लीवर और रक्त से जुड़ी समस्याएं: पुनर्नवा लीवर समस्याओं जैसे हेपेटोमिगेली (लीवर का बढ़ना) और पीलिया में सहायक है। इसका सही सेवन शरीर से विकृत पित्त को मल के माध्यम से बाहर निकालने में मदद करता है।

4. हृदय स्वास्थ्य: यह औषधि हृदय स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है। जिन लोगों को खून की कमी (एनीमिया), सांस फूलना, और अत्यधिक थकान की समस्या है, उनके लिए पुनर्नवा का सेवन फायदेमंद रहता है। पुनर्नवा हृदय के लिए पुनर्जीवित करने वाली औषधि मानी जाती है।

5. एंटी-एजिंग और डिटॉक्सिफिकेशन: पुनर्नवा एक बेहतरीन एंटी-एजिंग औषधि है जो शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करती है। इसे विषगन के रूप में भी जाना जाता है, जो शरीर में जमा हुए हानिकारक तत्वों को दूर करने का कार्य करता है। 

पुनर्नवा का सेवन विधि

पुनर्नवा का सेवन पाउडर के रूप में किया जा सकता है। दो से तीन ग्राम पुनर्नवा चूर्ण को दिन में एक या दो बार गुनगुने पानी या शहद के साथ लेने की सलाह दी जाती है। मूत्र संबंधी समस्याओं के लिए, पुनर्नवा को धनिया और गोखरू के साथ मिलाकर लिया जा सकता है।

उपयोगी संयोजन

पुनर्नवा के विभिन्न संयोजनों का उल्लेख करते हुए, डॉ. जैन ने कुटकी के साथ पुनर्नवा को लीवर समस्याओं के लिए उपयोगी बताया, जबकि हृदय संबंधी समस्याओं के लिए अर्जुन के साथ इसका संयोजन किया जा सकता है।

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