गरुड़ पुराण का रहस्य: क्यों परेशान करती हैं मृतक आत्माएं?

 

संस्कृत धर्मशास्त्रों में मृत्युकाल और उसके बाद की स्थिति का गहन वर्णन मिलता है। हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक, गरुण पुराण, मृत्यु और आत्मा के पारलौकिक सफर को विस्तार से समझाता है। इस ग्रंथ में यह बताया गया है कि क्यों कुछ आत्माएं मृत्यु के बाद जीवित लोगों को परेशान करती हैं।*

मृत्यु और आत्मा की यात्रा

गरुण पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा शरीर से अलग हो जाती है, लेकिन उसे तुरंत मोक्ष या अगले जन्म की प्राप्ति नहीं होती। आत्मा यमलोक की यात्रा करती है, और इस सफर के दौरान उसे उसके कर्मों के अनुसार फल भुगतने पड़ते हैं। अगर व्यक्ति ने जीवन में अच्छे कर्म किए हैं, तो उसकी आत्मा को शांति मिलती है और उसे मोक्ष प्राप्त हो सकता है। लेकिन यदि उसने पाप किए हैं या उसे किसी विशेष आकांक्षा का त्याग नहीं हुआ है, तो वह आत्मा अटक जाती है।

आत्मा के परेशान करने के कारण

गरुण पुराण में कई कारणों का वर्णन किया गया है जिनके चलते आत्माएं मृत्यु के बाद लोगों को परेशान कर सकती हैं:

1. अपूर्ण इच्छाएं: यदि व्यक्ति की मृत्यु किसी अधूरी इच्छा या आकांक्षा के साथ होती है, तो उसकी आत्मा उन इच्छाओं की पूर्ति के लिए भटकती रहती है। ऐसी आत्माएं अकसर अपने परिवार के सदस्यों या परिचितों को परेशान करती हैं ताकि वे उनकी अधूरी इच्छाओं को पूरा कर सकें।

2. अप्राकृतिक मृत्यु: यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु अचानक, हिंसक या अप्राकृतिक तरीके से होती है, तो उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती। यह आत्मा भ्रमित रहती है और उसे अपने निधन का कारण समझ नहीं आता। ऐसे में वह भटकती रहती है और कभी-कभी लोगों को परेशान करने लगती है।

3. अत्यधिक लगाव: गरुण पुराण के अनुसार, कुछ आत्माएं अपने परिवार, धन या संपत्ति के प्रति अत्यधिक मोह के कारण भटकती रहती हैं। उनका यह मोह इतना प्रबल होता है कि वे मृत्यु के बाद भी उन चीज़ों से दूर नहीं हो पातीं। वे उन लोगों को परेशान कर सकती हैं जो उनके प्रियजनों या संपत्ति के पास हों।

4. अधर्मपूर्ण कर्म: यदि व्यक्ति ने अपने जीवन में गलत कर्म किए होते हैं, जैसे धोखाधड़ी, हत्या या अन्य पाप, तो उसकी आत्मा को मृत्यु के बाद शांति नहीं मिलती। ऐसी आत्माएं अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भटकती रहती हैं और कभी-कभी जीवित लोगों को कष्ट देती हैं।

 आत्मा को शांति कैसे मिले?

गरुण पुराण के अनुसार, आत्मा को शांति दिलाने के लिए कुछ विशेष कर्मकांडों का पालन करना आवश्यक है। पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध जैसे अनुष्ठान आत्मा की तृप्ति और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होते हैं। इन अनुष्ठानों का उद्देश्य आत्मा को उसके भटकाव से मुक्त कराना और उसे शांति प्रदान करना है। 

गरुण पुराण में आत्मा के भटकने और लोगों को परेशान करने के पीछे गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक कारण बताए गए हैं। यह ग्रंथ इस बात पर जोर देता है कि मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिए सही समय पर उचित अनुष्ठानों का पालन करना आवश्यक है, ताकि वह अगले जन्म की ओर बढ़ सके या मोक्ष प्राप्त कर सके।

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