इस्लाम में भाई-बहन की शादी? क्या है सच? मौलवी देते हैं ये दलील



हाल ही में सोशल मीडिया पर एक दावा तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें कहा जा रहा है कि इस्लाम में भाई-बहन की शादी की अनुमति है। इस दावे के साथ कई तरह के तर्क और दलीलें भी दी जा रही हैं। लेकिन क्या यह दावा सच है? आइए इस दावे की सच्चाई जानने की कोशिश करते हैं।

इस्लाम क्या कहता है?

इस्लाम स्पष्ट रूप से भाई-बहन के बीच शादी को हराम यानी निषिद्ध मानता है। कुरान और हदीस दोनों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि मुस्लिम पुरुष अपनी सगी बहन से शादी नहीं कर सकता। इस्लाम में रिश्तेदारी के कुछ ऐसे रिश्ते हैं जिनमें शादी करना मना है और भाई-बहन का रिश्ता उनमें से एक है।

तो फिर ये दावा कहां से आया?

यह दावा पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। हो सकता है कि कुछ लोग इस तरह के दावे करके लोगों को गुमराह करना चाहते हों या फिर उन्हें इस्लाम के बारे में गलत जानकारी देना चाहते हों।

इस तरह के दावों से क्या नुकसान होता है?

धर्म की छवि खराब होती है: इस तरह के झूठे दावों से इस्लाम की छवि खराब होती है और लोग इस्लाम के बारे में गलत धारणा बना लेते हैं।

समाज में अशांति फैलती है: इस तरह के दावों से समाज में अशांति और फूट पड़ सकती है।

महिलाओं के साथ अन्याय: इस तरह के दावों का इस्तेमाल महिलाओं के साथ अन्याय करने के लिए भी किया जा सकता है।

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