धार्मिक अंधविश्वास और जानवरों के प्रति हिंसा: एक गहरा संबंध

 

मुस्लिम समाज में गिरगिट को मारने की प्रथा के बारे में हाल ही में एक नई चर्चा शुरू हुई है। यह प्रथा अतीत से जुड़ी हुई है, और इसके पीछे ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कारणों का एक जटिल ताना-बाना है।

प्रत्येक समुदाय की अपनी विशेष मान्यताएँ और परंपराएँ होती हैं, और मुस्लिम समाज भी इस बात से अछूता नहीं है। गिरगिट को मारने की इस प्रथा की जड़ों को समझने के लिए हमें इतिहास की ओर देखना होगा। ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार, जब इब्राहीम अ़लैहिस्सलाम को आग में डाला गया था, तो गिरगिट ने उस आग को अपने मुंह से फूंक मारकर और भड़काने का प्रयास किया। यह मान्यता है कि गिरगिट ने खुदा की इच्छा के विरुद्ध जाकर आग को भड़काने का काम किया था, और इसी कारण से उसे मारने का आदेश दिया गया।

एक अन्य कथा में, जब नबीए करीम सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम और उनके साथी आराम फरमा रहे थे, तब गिरगिट ने उनके पास आने की कोशिश की। यह कथा बताती है कि गिरगिट की गर्दन में अल्लाह ने एक चिह्न डाल दिया था, जो उसे हमेशा इशारा देने का संकेत बन गया। इस कथानुसार, रसूलल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने गिरगिट को मारने का आदेश दिया, जो कि बाद में धार्मिक ग्रंथों में दर्ज किया गया।

हालांकि, इन कथाओं की ऐतिहासिक सटीकता पर सवाल उठते हैं। मौजूदा समय में, यह माना जाता है कि गिरगिट को मारने की प्रथा धार्मिक ग्रंथों या कुरान में नहीं पाई जाती। कुछ धार्मिक ग्रंथों और तथाकथित धर्मगुरुओं द्वारा इसे समर्थन देने वाली हदीसें और किताबें गुमराह करने वाली हो सकती हैं। 

वर्तमान में, शिक्षा प्राप्त कर चुके मुस्लिम समाज के लोग इस प्रथा के बारे में जागरूक हो रहे हैं और धार्मिक समझ के अनुसार इसे पुनः परखने की कोशिश कर रहे हैं। यह महत्वपूर्ण है कि लोग सही और प्रमाणिक स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें और धर्म की सही व्याख्या पर ध्यान दें।

यह चर्चा इस बात का संकेत है कि समाज में धार्मिक मान्यताओं को समझने और पुनरावलोकन की आवश्यकता है, ताकि धर्म और सांस्कृतिक परंपराओं के बीच सही सामंजस्य स्थापित किया जा सके।

DISCLAIMER: इस लेख में दी गयी जानकारी इंटरनेट और किताबो में उपलब्ध जानकारी के आधार पर दी गयी है। RanginDuniya.com इसके सच या झूठ होने का दावा नहीं करता। 

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