गरुड़ पुराण, हिन्दू धर्म के 18 महापुराणों में से एक, मृत्यु के बाद की यात्रा और आत्मा के परलोकगमन का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करता है। इस पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा को यमलोक जाना होता है, जहाँ यमराज के समक्ष उसके कर्मों का हिसाब होता है। यमलोक में, चित्रगुप्त, जो कि कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले देवता हैं, आत्मा के सभी कर्मों का विवरण प्रस्तुत करते हैं।
पाप और पुण्य की तुलना
चित्रगुप्त द्वारा प्रस्तुत किए गए कर्मों के विवरण में पाप और पुण्य दोनों का हिसाब होता है। पापों में हिंसा, चोरी, झूठ बोलना, लालच, ईर्ष्या, क्रोध आदि शामिल हैं, जबकि पुण्यों में दान, दया, सत्यवादिता, क्षमा, परोपकार आदि शामिल हैं।
तुलना की प्रक्रिया
यमराज चित्रगुप्त द्वारा प्रस्तुत किए गए पाप और पुण्य का तुलनात्मक विश्लेषण करते हैं। यदि पापों का भार पुण्यों के भार से अधिक होता है, तो आत्मा को नरक भेजा जाता है, जहाँ उसे अपने पापों के अनुसार दंड भुगतना पड़ता है। यदि पुण्यों का भार पापों के भार से अधिक होता है, तो आत्मा को स्वर्ग भेजा जाता है, जहाँ उसे अपने पुण्यों के अनुसार सुख प्राप्त होता है।
कर्मों का महत्व
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद का जीवन पूरी तरह से कर्मों पर आधारित होता है। यदि व्यक्ति जीवनकाल में पुण्य कर्म करता है, तो उसे मृत्यु के बाद सुख प्राप्त होता है। यदि व्यक्ति जीवनकाल में पाप कर्म करता है, तो उसे मृत्यु के बाद दुख भुगतना पड़ता है।
गरुड़ पुराण का यह संदेश है कि मनुष्य को सदैव पुण्य कर्म करना चाहिए और पाप कर्मों से बचना चाहिए। कर्म ही मनुष्य को मृत्यु के बाद सुख या दुख की प्राप्ति कराते हैं।
इसके अतिरिक्त, गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद होने वाली विभिन्न घटनाओं का भी वर्णन है, जैसे:
- प्रेत यात्रा: मृत्यु के बाद आत्मा को 10 दिनों तक पृथ्वी पर भटकना पड़ता है।
- पितृलोक: मृत्यु के बाद आत्मा अपने पितरों से मिलती है।
- स्वर्ग और नरक: पुण्य कर्म करने वालों को स्वर्ग भेजा जाता है, जबकि पाप कर्म करने वालों को नरक भेजा जाता है।
- मोक्ष: जो व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर लेता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है।
गरुड़ पुराण मृत्यु और मृत्यु के बाद के जीवन के बारे में जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह मनुष्यों को सदाचारपूर्ण जीवन जीने और पुण्य कर्म करने के लिए प्रेरित करता है।