अंधकार का काल, निर्माण का आरंभ: देवों के वास्तुकार का रहस्यमयी मंदिर

 



कहा जाता है कि एक समय था जब धरती पर 6 महीने तक अंधकार छाया रहा था। सूर्य देव गायब हो गए थे और दुनिया में हाहाकार मच गया था।

इस विकट परिस्थिति में, देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने अपनी कृपा से देवताओं के वास्तुकार, मयदान को धरती पर भेजा।

मयदान ने अपनी दिव्य शक्तियों का उपयोग करके एक अद्भुत मंदिर का निर्माण किया।

यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित था और माना जाता है कि इस मंदिर के निर्माण से ही सूर्य देव प्रसन्न हुए और धरती पर फिर से प्रकाश लौटा।

यह मंदिर आज भी मौजूद है और इसकी कहानी लोगों को आज भी रोमांचित करती है।

मंदिर की रहस्यमयी कहानी:

इस मंदिर से जुड़ी कई रहस्यमयी कहानियां हैं।

कहा जाता है कि मयदान ने इस मंदिर का निर्माण केवल एक रात में किया था।

यह भी कहा जाता है कि मंदिर के पत्थर इतने विशाल हैं कि इन्हें कोई भी इंसान नहीं उठा सकता था।

कुछ लोगों का मानना ​​है कि मयदान ने देवताओं की मदद से इन पत्थरों को उठाया था।

मंदिर की स्थापत्य कला:

यह मंदिर अपनी अद्भुत स्थापत्य कला के लिए भी जाना जाता है।

मंदिर का निर्माण द्रविड़ शैली में किया गया है और इसमें कई सुंदर मूर्तियां और नक्काशीदार कलाकृतियां हैं।

मंदिर का मुख्य द्वार भगवान सूर्य की एक विशाल मूर्ति से सजा हुआ है।

आज भी दर्शनार्थियों को आकर्षित करता है:

यह मंदिर आज भी एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है और हर साल हजारों दर्शनार्थी यहां आते हैं।

मंदिर का वातावरण शांत और पवित्र है और यह माना जाता है कि यहां आने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है।

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