देश के अधिकांश हिस्सों में वायु प्रदूषण गंभीर समस्या बनता जा रहा है। खासकर सर्दियों के दौरान, जब वायुमंडल में हानिकारक कणों की मात्रा बढ़ जाती है, तो यह स्थिति नवजात शिशुओं के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं होने के कारण वे प्रदूषण के प्रभाव से जल्दी प्रभावित होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते प्रदूषण के चलते बच्चों में श्वसन संबंधी समस्याएं, एलर्जी और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चों पर प्रदूषण का प्रभाव
नवजात शिशु विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं क्योंकि उनकी श्वसन प्रणाली पूरी तरह से विकसित नहीं होती। वायु में मौजूद हानिकारक तत्व, जैसे पीएम 2.5 और पीएम 10, आसानी से उनके फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं। इससे शिशुओं में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सांस की अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
डॉक्टरों के सुझाव: नवजात शिशुओं की सुरक्षा के लिए टिप्स
डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कुछ जरूरी टिप्स दिए हैं, जिनका पालन करके माता-पिता अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं:
- घर के अंदर हवा को साफ रखें: HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें ताकि घर की हवा साफ रह सके।
- बाहर जाने से बचें: जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर हो, तो बच्चों को बाहर न ले जाएं। सुबह और शाम के समय वायु प्रदूषण का स्तर अधिक होता है, इसलिए इन समयों में बाहर जाने से बचें।
- साफ-सफाई का ध्यान रखें: घर के अंदर धूल और गंदगी को कम करने के लिए नियमित रूप से सफाई करें। घर में धूम्रपान न करें और धुआं फैलने से रोकें।
- प्राकृतिक वेंटिलेशन का ध्यान रखें: दिन के ऐसे समय में खिड़कियों को खोलें जब प्रदूषण का स्तर कम हो ताकि ताजी हवा का प्रवाह हो सके।
विशेष ध्यान की आवश्यकता
डॉक्टरों का मानना है कि प्रदूषण का प्रभाव लंबे समय तक बच्चों की सेहत पर पड़ सकता है। ऐसे में सतर्कता बरतना और बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पोषक आहार देना भी जरूरी है। शिशु के स्वास्थ्य पर किसी भी समस्या का अंदेशा हो तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।