नई दिल्ली – स्वास्थ्य संबंधी नियमित जांचों में से एक महत्वपूर्ण परीक्षण है VDRL जांच (Venereal Disease Research Laboratory test), जो विशेष रूप से यौन संचारित रोगों की पहचान के लिए किया जाता है। यह जांच मुख्य रूप से सिफलिस जैसी गंभीर संक्रामक बीमारी का पता लगाने के लिए की जाती है। सिफलिस एक जीवाणु जनित यौन रोग है, जो अगर समय पर इलाज न हो तो शरीर में गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है।
VDRL जांच क्या है?
VDRL जांच एक खून की जांच है, जो शरीर में ट्रेपोनेमा पैलिडम नामक जीवाणु के संक्रमण का पता लगाती है। यह परीक्षण सिफलिस के शुरुआती और देर के चरणों में शरीर में उपस्थित एंटीबॉडी का परीक्षण करता है। यदि शरीर में यह संक्रमण होता है, तो इम्यून सिस्टम एंटीबॉडी बनाता है, जिन्हें VDRL जांच के माध्यम से पहचाना जा सकता है।
किन्हें VDRL जांच कराना जरूरी है?
VDRL जांच उन लोगों के लिए विशेष रूप से जरूरी होती है जो सिफलिस के संक्रमण के उच्च जोखिम में होते हैं। निम्नलिखित लोगों को यह जांच करवाने की सलाह दी जाती है:
1. गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान सिफलिस का संक्रमण न केवल महिला के लिए बल्कि गर्भस्थ शिशु के लिए भी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। गर्भवती महिलाओं की नियमित VDRL जांच की जाती है ताकि समय रहते संक्रमण का पता चल सके और आवश्यक उपचार किया जा सके।
2. यौन संचारित रोगों के लक्षण वाले लोग: यदि किसी व्यक्ति को यौन संचारित संक्रमण (STI) के लक्षण महसूस होते हैं, जैसे जननांगों पर घाव, रैशेज, या अन्य असामान्य लक्षण, तो उन्हें यह जांच करानी चाहिए।
3. असुरक्षित यौन संबंध: जिन व्यक्तियों ने असुरक्षित यौन संबंध बनाए हों, या एक से अधिक साथी हों, उन्हें सिफलिस और अन्य यौन संक्रमणों का जोखिम अधिक होता है, इसलिए उन्हें यह परीक्षण कराना जरूरी है।
4. HIV पॉजिटिव व्यक्ति: HIV संक्रमण वाले व्यक्तियों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे अन्य संक्रमणों की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में VDRL जांच से सिफलिस की संभावना को देखा जाता है।
5. ब्लड डोनर और सर्जरी से पहले: कई अस्पताल और ब्लड बैंक ब्लड डोनर्स की VDRL जांच करते हैं ताकि रक्त के माध्यम से संक्रमण फैलने का खतरा कम किया जा सके। इसी तरह सर्जरी से पहले भी रोगी की VDRL जांच की जा सकती है।
VDRL जांच कैसे होती है?
VDRL टेस्ट सरल है और इसके लिए केवल खून का सैंपल लिया जाता है। इस सैंपल की प्रयोगशाला में जांच की जाती है, जहाँ एंटीबॉडी की उपस्थिति की पहचान होती है। परिणाम पॉजिटिव या नेगेटिव आ सकते हैं। पॉजिटिव परिणाम का अर्थ है कि व्यक्ति में सिफलिस के एंटीबॉडी पाए गए हैं और आगे की जांच और उपचार की आवश्यकता हो सकती है।
क्यों जरूरी है VDRL जांच?
सिफलिस एक गंभीर यौन संचारित संक्रमण है, जो समय पर निदान और इलाज के बिना अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है, जिसमें हृदय, मस्तिष्क, और नसें शामिल हैं। यह संक्रमण गर्भवती महिलाओं में गर्भपात, मृत शिशु या नवजात शिशु के गंभीर संक्रमण का कारण बन सकता है।
VDRL जांच एक महत्वपूर्ण साधन है, जिससे सिफलिस के शुरुआती चरण में निदान संभव होता है। जिन लोगों को इसका जोखिम है, उनके लिए इस जांच को करवाना आवश्यक है। समय पर निदान और उपचार से इस बीमारी के गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।