हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता क्रांति कुमार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने जातिवाद पर करारा प्रहार किया। कुमार ने लिखा, "यह राष्ट्र की सबसे बड़ी खबर होनी चाहिए।"
कुमार ने अपनी पोस्ट में मध्य प्रदेश की एक घटना का ज़िक्र किया, जिसमें कथित तौर पर एक दलित व्यक्ति के कुर्सी पर बैठने को लेकर विवाद हुआ। उन्होंने बताया कि मयंक द्विवेदी नामक एक व्यक्ति, जो स्वयं को ब्राह्मण मानते हैं, ने यह कहा कि दलित व्यक्ति को उसकी उपस्थिति में कुर्सी छोड़ देनी चाहिए। क्रांति कुमार ने इस प्रकार की सोच को "हिंदू एकता" और "समाज की अखंडता" के लिए एक बड़ा खतरा करार दिया।
क्रांति कुमार ने अपनी पोस्ट में कहा, "इस तरह के जातिवादी लोग देश की अखंडता, समाज और हिंदू एकता के लिए खतरा हैं। ऐसे जातिवादियों के सुधार के लिए एक 'Rehabilitation Center' होना चाहिए, और जातिवाद को एक मानसिक विकार मानते हुए जातिवादी को पागल समझा जाना चाहिए।"*
उनके अनुसार जब तक जाति, जातिवाद और वर्ण-व्यवस्था जैसी बुराइयों को समाज से पूरी तरह समाप्त नहीं किया जाता, तब तक "हिंदू एकता" केवल एक छलावा ही है।
क्रांति कुमार का यह विचार समाज में जातिवाद और भेदभाव के मुद्दों पर एक गंभीर चर्चा को जन्म दे रहा है।