चित्रकूट, उत्तर प्रदेश – चित्रकूट के लालापुर क्षेत्र में स्थित वाल्मीकि आश्रम में मेला के दौरान घटित एक गंभीर घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। लालापुर के एक प्रतिष्ठित दुकानदार केशव प्रसाद गुप्ता ने पुजारी भरतदास की कथित प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। यह घटना तब उजागर हुई जब स्थानीय लोगों ने गुप्ता को फंदे से उतारकर जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, 20 अक्टूबर को पुजारी भरतदास ने गुप्ता पर जानलेवा हमला किया था, जिसकी शिकायत रैपुरा थाने में दर्ज कराई गई थी। परंतु, पुलिस द्वारा इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इससे न केवल पीड़ित परिवार बल्कि स्थानीय व्यापारियों में भी आक्रोश व्याप्त है। रैपुरा थाना प्रभारी की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
लालापुर बाल्मीकि आश्रम के मेले में नारियल और अगरबत्ती बेचकर जीवन यापन करने वाले छोटे दुकानदारों का कहना है कि पुजारी भरतदास का आतंक उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। बाबा बिना प्रशासनिक अनुमति के दुकानें हटवा देते हैं, यहाँ तक कि बुलडोजर तक चलवा देते हैं। स्थानीय व्यापारियों का आरोप है कि बाबा का व्यवहार ऐसा है जैसे वह स्वयं मुख्यमंत्री हों।
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— Abhimanyu Singh Journalist (@Abhimanyu1305) November 4, 2024
👉🏾 लालापुर के पुजारी भरतदास से परेशान होकर केशव प्रसाद गुप्ता ने फांसी लगाकर किया आत्महत्या करने का प्रयास??
👉🏾 मौके पर मौजूद लोगों ने फंदे से उतारकर जिला अस्पताल में कराया भर्ती हालत नाजुक। रैपुरा थाना प्रभारी की कार्यशैली पर उठे सवाल।
👉🏾 बताया जा रहा है 20 अक्टूबर… pic.twitter.com/48hyOuStKI
इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण बात यह भी उभरकर आई है कि बाबा भरतदास एक बार मुख्यमंत्री से मिले थे। इसके बाद से ही स्थानीय व्यापारियों का आरोप है कि बाबा का आतंक और बढ़ गया है। गरीब दुकानदारों का कहना है कि वे बाबा के इस आतंक के कारण भयभीत रहते हैं और अपनी आजीविका बचाने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं।
गुप्ता के आत्महत्या प्रयास के बाद स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक लापरवाही पर भी सवाल खड़े किए हैं। रैपुरा थाना प्रभारी पर विशेष रूप से आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इस मामले ने पुलिस की निष्क्रियता और स्थानीय अधिकारियों की जिम्मेदारियों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।
इस घटना ने प्रशासन और स्थानीय सरकार की भूमिका पर एक गहरी छाप छोड़ी है। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करते हैं और लालापुर के छोटे दुकानदारों को न्याय दिलाने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने चित्रकूट के समाज में डर और अनिश्चितता का माहौल बना दिया है, जो प्रशासनिक निष्क्रियता की ओर इशारा करता है।