चित्र क्रांति कुमार की X पोस्ट से
8 नवंबर 2024, नई दिल्ली – सोशल मीडिया पर आज एक विवादित बयान तेजी से वायरल हो रहा है। जाने-माने कार्यकर्ता और लेखक क्रांति कुमार ने एक पोस्ट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने दावा किया कि RSS का गठन तो 1925 में हुआ, लेकिन उसने स्वतंत्रता संग्राम में कभी हिस्सा नहीं लिया और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला। कुमार ने अपने इस बयान के समर्थन में कई प्रमुख इतिहासकारों की राय का भी हवाला दिया है, जिनके अनुसार स्वतंत्रता संग्राम के दौरान RSS का रुख ब्रिटिश सरकार के पक्ष में था।
क्रांति कुमार ने इस संदर्भ में तुलसीदास और मुगल साम्राज्य का उदाहरण देते हुए कहा कि ठीक उसी तरह जैसे गोस्वामी तुलसीदास ने मुगलों के खिलाफ एक शब्द नहीं लिखा, RSS ने भी अंग्रेजों के खिलाफ कुछ नहीं कहा। इसके बजाय, कुमार के अनुसार RSS ने अपने विचारों का केंद्र गांधी और अंबेडकर के खिलाफ रखा और पिछड़ी जातियों के प्रति अपमानजनक व्यवहार दिखाया। उनका दावा है कि RSS ने राष्ट्रीय नेताओं और समाज सुधारकों के खिलाफ मुखर होकर केवल अपने वैचारिक विरोध को व्यक्त किया।
कुमार ने कहा, "गांधी जी, नेहरू जी, गांधी परिवार और अन्य कई स्वतंत्रता सेनानी जेल गए और उन्होंने बलिदान दिया, जबकि RSS के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और बाद में गुरु गोलवलकर जैसे नेता कभी जेल नहीं गए।" इस बयान के जरिए उन्होंने संगठन के ऐतिहासिक योगदान पर सवाल खड़ा किया और इसे एक वैचारिक हमला बताते हुए आलोचना की। यह बयान कुछ प्रमुख नेताओं द्वारा RSS पर अक्सर लगाए जाने वाले आरोपों की पंक्ति में नया अध्याय जोड़ता है।
RSS का जन्म 1925 में हुआ. RSS ने कभी स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा नही लिया.
— Kranti Kumar (@KraantiKumar) November 8, 2024
RSS ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ कभी एक शब्द नही बोला.
उसी तरह जैसे मुग़ल साम्राज्य में गोस्वामी तुलसीदास ने मुग़लों के खिलाफ एक शब्द नही लिखा. केवल पिछड़ी जातियों को अपमानित कर अपनी भड़ास निकाली.
इसी… pic.twitter.com/8AGVOjeWea
कुमार के बयान से सोशल मीडिया पर एक नई बहस छिड़ गई है। समर्थक और विरोधी दोनों तरफ के लोग अपनी-अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि कुमार का बयान इतिहास की उन कड़वी सच्चाइयों की ओर इशारा करता है जिन्हें अक्सर अनदेखा किया जाता है, जबकि कई अन्य इसे सिर्फ एक व्यक्तिगत राय मानकर खारिज कर रहे हैं।
अपने बयान के अंत में क्रांति कुमार ने चुनौतीपूर्ण लहजे में कहा, "आप खुलकर बैटिंग कर रहे हैं, हम भी अब खुलकर बॉलिंग करेंगे।" उनके इस बयान को कई लोग एक नई वैचारिक संघर्ष की शुरुआत के रूप में देख रहे हैं। इस टिप्पणी को लेकर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं।