ज्योतिराव फुले, एक महान समाज सुधारक और न्याय के प्रबल समर्थक, ने ब्रिटिश राजकुमार और उनकी पत्नी के सम्मान में आयोजित एक भव्य समारोह में किसानों और शोषित वर्ग की दुर्दशा को निर्भीकता से उजागर किया। यह कार्यक्रम उनके मित्र हरि रावजी चिपलुनकर द्वारा आयोजित किया गया था। ब्रिटिश राजकुमार महारानी विक्टोरिया के पोते थे, और इस अवसर पर फुले ने न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, बल्कि किसानों और समाज के दबे-कुचले वर्गों की समस्याओं को केंद्र में लाने के लिए एक साहसिक कदम उठाया।
किसानों का दर्द बताने के लिए किसान जैसा वेश
ज्योतिबा फुले इस कार्यक्रम में किसानों की वास्तविकता को सामने रखने के उद्देश्य से साधारण किसान के वेश में पहुंचे। हीरे-जवाहरात और वैभव का प्रदर्शन कर रहे धनाढ्य लोगों के बीच फुले ने अपने कपड़ों और भाषण से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। उन्होंने अपने भाषण में धनवान वर्ग की निंदा करते हुए कहा कि ये लोग भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
गणमान्य लोगों को चेतावनी और राजकुमार को सुझाव
फुले ने सभा में मौजूद गणमान्य हस्तियों को चेताते हुए कहा कि अगर ब्रिटिश राजकुमार वाकई में भारत की असली स्थिति को समझना चाहते हैं, तो उन्हें ग्रामीण इलाकों और उन जगहों का दौरा करना चाहिए जहां शोषित और अछूत समुदाय के लोग रहते हैं। फुले ने कहा कि यह वही वर्ग है जो भारत की असली तस्वीर प्रस्तुत करता है। उन्होंने राजकुमार से आग्रह किया कि वह उनके इस संदेश को महारानी विक्टोरिया तक पहुंचाएं और गरीबों को शिक्षा दिलाने का प्रबंध करें।
ज्योतिबा फुले के एक दोस्त थे जिनका नाम हरि रावजी चिपलुनकर था। उन्होंने ब्रिटिश राजकुमार और उसकी पत्नी के सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। ब्रिटिश राजकुमार महारानी विक्टोरिया का पोता था। उस कार्यक्रम में ज्योतिबा फुले भी पहुंचे। वहां जाकर किसानों का दर्द बयान कर सके, इसके… pic.twitter.com/ca4LNRwe0e
— Rohit Garwa (@RohitGarwa) November 28, 2024
सभा में छा गया सन्नाटा
ज्योतिबा फुले के साहसिक और तीखे भाषण से समारोह में मौजूद सभी लोग हतप्रभ रह गए। उन्होंने निडर होकर अंग्रेजी शासन और भारतीय उच्च वर्ग के वैभव प्रदर्शन पर सवाल उठाए। यह घटना फुले की प्रखर सोच और उनके समाज सुधार के प्रति समर्पण को दर्शाती है।
भारत के महान समाज सुधारक को नमन
ज्योतिबा फुले का यह कदम उनके उस संघर्ष का हिस्सा था जो उन्होंने किसानों, महिलाओं, और अछूतों के लिए किया। उन्होंने शिक्षा, समानता और अधिकारों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। ऐसे महान समाज सुधारक और मानवता के मसीहा को शत-शत नमन।
ज्योतिबा फुले की यह घटना न केवल उनके साहस और दृष्टिकोण को दिखाती है, बल्कि यह भी सिखाती है कि असली बदलाव तब आता है जब सच को निर्भीकता से उजागर किया जाए। उनका योगदान भारत के इतिहास में हमेशा अमर रहेगा।