बहराइच - जिले में दलित छात्रा द्वारा जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) पर दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया। छात्रा ने दावा किया था कि शौचालय के लिए आवेदन देने के बाद उसे दीवाली से पहले डीपीआरओ कार्यालय बुलाया गया, जहां महसी ब्लॉक के प्रभारी एडीओ पंचायत ने उसे डीपीआरओ के आवास पर ले जाकर दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। इसके बाद मामले को दबाने के लिए उसे 5000 रुपये देकर जान से मारने की धमकी भी दी गई।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी (डीएम) मोनिका रानी ने पूरे घटनाक्रम की जांच के आदेश दिए। उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) की अध्यक्षता में जिला विद्यालय निरीक्षक, सिटी मजिस्ट्रेट समेत पांच अधिकारियों की एक जांच टीम गठित की। इस टीम को मामले की गहन जांच कर निष्कर्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया।
जांच टीम ने घटनास्थल, संबंधित व्यक्तियों और सभी सबूतों का अवलोकन करते हुए रिपोर्ट तैयार की। जांच में सामने आया कि छात्रा की ओर से लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया असत्य एवं निराधार पाए गए। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि शिकायत का उद्देश्य जिला पंचायत राज अधिकारी और प्रभारी सहायक विकास अधिकारी की छवि को धूमिल करने का प्रयास था।
डीएम कार्यालय द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मामले को गंभीरता से लिया गया और सभी तथ्यों का सावधानीपूर्वक परीक्षण किया गया। जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर प्रशासन ने छात्रा द्वारा लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया और मामले को समाप्त कर दिया।
प्रशासन का कहना है कि किसी भी व्यक्ति की छवि को बिना आधार के धूमिल करने के प्रयासों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और सत्य की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। इस मामले ने प्रशासनिक अधिकारियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और ऐसी घटनाओं की निष्पक्षता से जांच करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।