अमरेली, गुजरात, 9 नवंबर 2024: एक शख्स ने अपनी पुरानी और प्रिय कार को न केवल कबाड़ में देने की बजाय उसे सम्मान देने का अनोखा तरीका अपनाया। कार के मालिक संजय पोलरा ने अपनी ‘लकी’ कार को विधिवत रूप से अंतिम संस्कार करने का फैसला किया। इस प्रक्रिया में उन्होंने न केवल गाड़ी को दफनाने के लिए खेत में गड्ढा खोदवाया, बल्कि इस मौके पर एक भव्य भोज का आयोजन भी किया और आसपास के लोगों को खाना खिलाया। इस कदम पर संजय ने करीब 4 लाख रुपये खर्च किए, जो उनके दिल से जुड़ी इस कार के प्रति गहरे भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।
गुजरात के अमरेली जिले के निवासी संजय पोलरा के लिए उनकी कार सिर्फ एक साधन नहीं थी, बल्कि एक सच्ची साथी और लकी चार्म थी। संजय का कहना है कि यह कार उनके लिए लकी थी, क्योंकि इसी कार में उन्होंने कई यादगार पल बिताए थे। ऐसे में वह इसे बेचने के बजाय किसी और के पास जाने देना नहीं चाहते थे। उन्होंने अपनी प्रिय कार को खुद के पास ही रखकर उसे दफनाने का निर्णय लिया।
'लकी' कार को कबाड़ में देने की बजाय दफनाया:
— Vikash Mohta (@VikashMohta_IND) November 9, 2024
मालिक ने भोज और विधि-विधान से विदाई दी, 4 लाख रुपए खर्च किए....!!
गुजरात...
गाड़ी केवल एक साधन नहीं बल्कि इमोशन भी है. एक शख्स ने अपनी सालों पुरानी कार का अंतिम संस्कार किया है. कहा कि कार लकी थी तो उसे बेचना नहीं चाहता है. इसलिए अपने… pic.twitter.com/1qNcRgFYlH
संजय ने कहा, "यह कार मेरे लिए बेहद खास है और इसे बेचने की सोच भी नहीं सकता था। मैंने इसे अपने खेत में दफनाया, ताकि इसे कहीं और भेजा न जाए। यह एक भावनात्मक विदाई है और मैं चाहता था कि इसे पूरा सम्मान मिले।"
संजय पोलरा ने अपनी कार को दफनाने के लिए पूरी धार्मिक विधि-विधान का पालन किया। इस मौके पर एक पूजा का आयोजन किया गया, जिसमें परिवार और दोस्तों ने भाग लिया। कार को खेत में गड्ढा खोदकर दफनाया गया और इसके बाद सभी ने एक साथ भोजन किया। संजय ने इस अवसर पर गांववासियों को भी आमंत्रित किया और उन्हें भोजन कराया। इस भोज के आयोजन में उन्होंने करीब 4 लाख रुपये खर्च किए, जो उनकी इस अनोखी विदाई के प्रति श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है।
संजय पोलरा का यह अनोखा कदम आजकल चर्चा का विषय बन चुका है। कई लोग उनकी भावनाओं की सराहना कर रहे हैं, जबकि कुछ इसे एक अजीब घटना मान रहे हैं। लेकिन संजय का मानना है कि यह सिर्फ एक कार का अंतिम संस्कार नहीं था, बल्कि एक रिश्ते का सम्मान था, जो सालों से उनके साथ था।
"इस कार ने मेरे जीवन में कई सुखद यादें दी हैं। जब मुझे अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशियाँ मिलीं, तो ये कार मेरे साथ थी। अब जब यह पुरानी हो गई और ज्यादा चलने के लायक नहीं रही, तो मैंने सोचा कि इसे अच्छे तरीके से विदाई दी जाए," संजय ने कहा।
संजय पोलरा का यह कदम हमें यह सिखाता है कि कुछ चीजें केवल एक वस्तु नहीं होतीं, बल्कि हमारे लिए एक भावनात्मक जुड़ाव बन जाती हैं। चाहे वह एक पुरानी कार हो या कोई अन्य वस्तु, जब हम उससे जुड़े होते हैं, तो उसका मूल्य सिर्फ उसकी भौतिक स्थिति से कहीं ज्यादा होता है। संजय ने इस अनूठे तरीके से अपनी कार को सम्मानित किया, जिससे यह साबित होता है कि कभी-कभी भावनाएं और रिश्ते वस्तुओं से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं।