बागपत: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक ढाबा मालिक को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जमील नाम के एक व्यक्ति, जो "अमृतसरी नान" के नाम से ढाबा चलाते हैं, को भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष मनुपाल बंसल ने फोन कर कथित तौर पर नाम बदलने की चेतावनी दी। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और कई स्तरों पर प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
घटना का विवरण:
मनुपाल बंसल द्वारा फोन पर जमील से कहा गया, "तुमने अमृतसरी नान के नाम से दुकान कैसे खोल रखी है? यह आखिर बार चेतावनी है।" यह बातचीत एक ऑडियो क्लिप के रूप में वायरल हो गई है, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया।
जमील, जो अपने ढाबे पर उत्तर भारतीय व्यंजनों के साथ "अमृतसरी नान" परोसते हैं, ने बताया कि यह नाम उन्होंने अपनी व्यावसायिक पहचान और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए रखा है। उनका कहना है कि यह एक सामान्य व्यापारिक नाम है और किसी की भावनाओं को आहत करने का उनका कोई इरादा नहीं है।
'तुमने अमृतसरी नान के नाम से दुकान कैसे खोल कर रखा है? ये आखिर बार चेतावनी है !!
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) November 29, 2024
बागपत मे जमील नामी एक शख्स अमृतसरी नान के नास से ढाबा चलाते हैं। बीजेपी जिला पंचायत अध्यक्ष मनुपाल बंसल जमील को फोन पर समझाया !! #ViralVideo pic.twitter.com/LSuwbHsI0n
प्रतिक्रियाएं:
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स्थानीय विवाद:
इस घटना के बाद, बागपत में व्यापारियों और स्थानीय निवासियों के बीच चर्चा शुरू हो गई है। कई लोग इसे धार्मिक और क्षेत्रीय पहचान के साथ जोड़कर देख रहे हैं, जबकि कुछ इसे एक छोटे व्यवसायी को डराने की कोशिश बता रहे हैं। -
राजनीतिक बयानबाजी:
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दलों ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे "व्यापारिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप" करार दिया है। -
सामाजिक संगठनों का रुख:
कुछ सामाजिक संगठनों ने जमील के समर्थन में बयान जारी करते हुए कहा कि खाद्य व्यवसायों में क्षेत्रीय नामों का इस्तेमाल आम है और इसे विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिए।
भाजपा नेता का पक्ष:
मनुपाल बंसल ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी मंशा किसी को धमकाने या डराने की नहीं थी। उन्होंने कहा कि "मैंने केवल यह समझाने की कोशिश की थी कि धार्मिक और क्षेत्रीय नामों के इस्तेमाल से कई बार भावनाएं आहत होती हैं।"
कानूनी पहलू:
इस घटना के बाद कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या किसी व्यवसायी को अपने व्यावसायिक नाम के लिए ऐसी चेतावनी देना कानूनी है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक नाम किसी पंजीकरण, ट्रेडमार्क, या धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन नहीं करता, इसे प्रतिबंधित करना मुश्किल है।
सोशल मीडिया पर बहस:
यह मुद्दा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। एक तरफ लोग जमील के समर्थन में खड़े हैं, तो दूसरी ओर कुछ लोग इसे "अमृतसर" की पहचान से जोड़कर देख रहे हैं।
इस घटना ने व्यापारिक स्वतंत्रता, धार्मिक सहिष्णुता और क्षेत्रीय पहचान को लेकर बहस छेड़ दी है। बागपत प्रशासन ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, यह घटना समाज में संवाद और सहिष्णुता के महत्व को एक बार फिर रेखांकित करती है।