जामा मस्जिद को बाबरी मस्जिद कहना कितना सही? नदीम खान की प्रतिक्रिया

संभल, उत्तर प्रदेश। संभल का माहौल इन दिनों तनावपूर्ण है। विवाद की जड़ है जामा मस्जिद, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से भी जाना जाता है। यह ऐतिहासिक मस्जिद 1528 में सम्राट बाबर के आदेश पर मीर बेग ने बनाई थी। 500 साल से यह मस्जिद स्थानीय मुस्लिम समुदाय की आस्था का केंद्र रही है।

मामले की शुरुआत
19 नवंबर को, जिला न्यायालय ने लखनऊ निवासी एक याचिकाकर्ता की याचिका पर मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया। यह वही व्यक्ति है, जिसने बनारस, मथुरा और अन्य स्थानों पर 100 से अधिक मस्जिदों के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं। आदेश में सर्वे के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया, लेकिन मुस्लिम पक्ष को सूचित किए बिना, पुलिस और प्रशासन की टीम तत्काल सर्वे के लिए पहुंच गई।

सर्वे शांतिपूर्ण तरीके से हुआ, लेकिन इसके बाद मामले ने नया मोड़ लिया। मुस्लिम पक्ष ने हाई कोर्ट में अपील करने का निर्णय लिया।

हिंसा और प्रशासन की भूमिका
23 नवंबर की सुबह, सर्वे टीम एक जुलूस और नारेबाजी के साथ मस्जिद पहुंची। उत्तेजक नारेबाजी और भीड़ के बीच तनाव बढ़ा। इसके बाद स्थिति हिंसक हो गई। स्थानीय पुलिस ने सख्त कार्रवाई करते हुए फायरिंग की, जिसमें कई लोग घायल हुए और कुछ की जान चली गई।

पुलिस का दावा है कि मारे गए लोगों के पास हथियार थे, जबकि स्थानीय लोग इसे खारिज करते हुए इसे प्रशासन की पूर्व-नियोजित साजिश करार दे रहे हैं।

प्रशासन के बयानों पर सवाल
पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के बयान विवादों में हैं। एसपी ने कहा, "500 घर भी गिराने पड़ें, तो सिखाया जाएगा सबक," जबकि कमिश्नर ने दावा किया कि लाठीचार्ज और रबर की गोलियों के बाद ही फायरिंग की गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस ने सीधे गोलीबारी की।

सवालों के घेरे में सर्वे प्रक्रिया
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि सर्वे टीम के साथ नारेबाजी और उत्तेजक भीड़ पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, प्रशासन ने केवल मुस्लिम समुदाय पर सख्त धाराएं लगाने और एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाने की बात कही है।

न्याय की उम्मीद और सामूहिक एकजुटता
संभल की घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैला दिया है। स्थानीय समुदाय और सामाजिक कार्यकर्ता इस मामले में पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। कुछ परिवारों ने पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की भी बात कही है।

संभल की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या यह विवाद कानून और व्यवस्था बनाए रखने की आड़ में धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश है? क्या प्रशासन की निष्पक्षता पर भरोसा किया जा सकता है?

इस मामले का हल जल्द निकलना चाहिए, ताकि संभल का सौहार्दपूर्ण वातावरण कायम रहे।

Rangin Duniya

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