गाज़ियाबाद पुलिस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बताया है कि फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट Alt News के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ एक नया और गंभीर आरोप जोड़ा गया है। यह मामला 8 अक्टूबर को दर्ज एक एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें पहले से ही कई धाराओं के तहत शिकायत दर्ज की गई थी। पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि जुबैर पर ‘भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने’ का आरोप लगाया गया है।
क्या है पूरा मामला?
8 अक्टूबर को गाज़ियाबाद में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें जुबैर पर उनके सोशल मीडिया पोस्ट्स और बयानों के माध्यम से देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और कानून व्यवस्था को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया था। शुरुआती शिकायत में भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे।
हालांकि, अब पुलिस ने दावा किया है कि उनकी जांच के दौरान यह पाया गया कि जुबैर की गतिविधियाँ न केवल सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देती हैं, बल्कि ये ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ भी हैं। इसी आधार पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता और आईटी एक्ट की नई धाराएं जोड़ी गई हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई
यह मामला 8 अक्टूबर को दर्ज एफआईआर से जुड़ा है !!
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) November 28, 2024
"गाज़ियाबाद पुलिस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में खुलासा किया कि Alt News के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ 'भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने' का आरोप जोड़ा गया है !! #MohammedZubair #AltNews #LegalUpdate #FIR… pic.twitter.com/aGhWkAUW6y
गाज़ियाबाद पुलिस ने हाईकोर्ट में यह भी तर्क दिया कि जुबैर की सोशल मीडिया गतिविधियाँ भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर कर सकती हैं। पुलिस ने अदालत से इस मामले में विस्तृत जांच के लिए अधिक समय मांगा है।
जुबैर का पक्ष
इस पूरे मामले में मोहम्मद जुबैर ने खुद पर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया है। उनके वकील ने अदालत में यह तर्क दिया कि जुबैर केवल गलत सूचनाओं और अफवाहों का पर्दाफाश करते हैं और उनका काम पत्रकारिता के दायरे में आता है। वकील ने कहा कि पुलिस के इन आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में पुलिस और जुबैर के पक्षों को सुनने के बाद अगली सुनवाई की तारीख तय की है। फिलहाल पुलिस जुबैर के सोशल मीडिया पोस्ट्स, बयानों और उनके अन्य कार्यों की जांच कर रही है।
यह मामला न केवल जुबैर के लिए बल्कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और पत्रकारिता की स्वतंत्रता को लेकर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है।