प्रयागराज। महाकुंभ के अवसर पर प्रयागराज में साधु-संतों के बीच उस समय अप्रत्याशित तनाव उत्पन्न हो गया, जब विभिन्न अखाड़ों के संतों के बीच आश्रम (टैंट) स्थापित करने के लिए भूमि बंटवारे को लेकर विवाद हो गया। मंगलवार को आयोजित इस बंटवारे के दौरान संत समाज में बहस इतनी तीव्र हो गई कि नौबत हाथापाई तक पहुँच गई। इस अप्रत्याशित घटना ने कुंभ के आध्यात्मिक और शांतिपूर्ण वातावरण पर प्रश्न खड़ा कर दिया है, जहाँ संतों को मोह-माया से परे माना जाता है।
मोह माया त्यागने वाले भी जमीन के लिए भिड़ गए...
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) November 7, 2024
प्रयागराज महाकुंभ में आश्रम (टैंट) स्थापित करने के लिए आज संत अखाड़ों में जमीन का बंटवारा होना था। यहां साधु–संत भिड़ गए। खूब मारपीट हुई है। pic.twitter.com/ReJG0T6ltN
महाकुंभ के आयोजन के लिए विभिन्न अखाड़ों को उनके निर्धारित स्थानों पर आश्रम और साधना स्थलों के लिए भूमि उपलब्ध कराई जाती है। परंतु इस बार स्थान के चुनाव और वितरण को लेकर विभिन्न अखाड़ों के संत आपस में सहमत नहीं हो पाए, जिसके परिणामस्वरूप विवाद उत्पन्न हुआ। बताया जा रहा है कि कुछ प्रमुख अखाड़े अपने टैंट और आश्रम के लिए बेहतर स्थान की मांग कर रहे थे, जो कि अन्य संतों को नागवार गुजरा।
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बहस इतनी तेज हो गई कि स्थिति हाथापाई तक पहुँच गई, और संतों के बीच मारपीट की भी नौबत आ गई। प्रयागराज प्रशासन और अखाड़ा परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारियों को बीच-बचाव करना पड़ा, ताकि स्थिति को काबू में लाया जा सके और तनाव को खत्म किया जा सके। अधिकारियों ने बताया कि इस विवाद को सुलझाने के लिए पुनः बैठक का आयोजन किया जाएगा और सभी पक्षों की सहमति से ही भूमि का बंटवारा किया जाएगा।
इस घटना ने कुंभ के धार्मिक और आध्यात्मिक उद्देश्य पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, जहाँ साधु-संतों का उद्देश्य मोह-माया से ऊपर उठकर समाज को मार्गदर्शन देना होता है। इस प्रकार की स्थिति न केवल श्रद्धालुओं की आस्था को प्रभावित करती है बल्कि कुंभ मेले की प्रशासनिक चुनौतियों को भी उजागर करती है। ऐसे आयोजन में संत समाज के बीच शांति और सहयोग को बनाए रखने के लिए सभी पक्षों से अपील की जा रही है।
प्रयागराज महाकुंभ का यह आयोजन लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, और इसकी व्यवस्थाओं में संत समाज का विशेष योगदान होता है। प्रशासन द्वारा इस विवाद को शीघ्र ही सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि कुंभ का मुख्य उद्देश्य—धर्म और आध्यात्मिकता का संदेश देना—सफलतापूर्वक संपन्न हो सके।