चित्रकूट जिले के राजापुर-बांदा मुख्य मार्ग से चिल्लीमल और भदेहदू तक 20 किमी लंबी सड़क के निर्माण कार्य ने स्थानीय लोगों को उत्साहित तो किया, लेकिन साथ ही कई सवाल भी खड़े कर दिए। वर्षों से खराब सड़कों की शिकायत करने वाले ग्रामीणों को सड़क बनते देख राहत मिली है, लेकिन निर्माण में उपयोग हो रही सामग्रियों ने गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।
गिट्टी-मौरंग की जगह काली मिट्टी का इस्तेमाल
ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण में गिट्टी और मौरंग के स्थान पर काली मिट्टी डाली जा रही है। निर्माण कार्य के दौरान रात्रि में मिट्टी बिछाई जाती है, उस पर पानी डाला जाता है, और फिर रोलर चलाकर उसे समतल किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि नहर की सफाई के दौरान निकाली गई मिट्टी का उपयोग सड़क निर्माण में हो रहा है।
भ्रष्टाचार का आरोप
स्थानीय जानकार ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह पूरा काम भ्रष्टाचार का नतीजा है। मिट्टी से बनाई गई सड़क टिकाऊ नहीं होगी और जल्द ही खराब हो जाएगी। क्षेत्र को तिरहार क्षेत्र के नाम से जाना जाता है, जहां अधिकारी और नेता कम ही पहुंचते हैं। इस कारण, यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं जैसे सड़क, स्कूल, अस्पताल और खाद-बीज केंद्र से वंचित हैं।
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— Abhimanyu Singh Journalist (@Abhimanyu1305) November 25, 2024
👉🏾🤔 यह कौन सी नई तकनीक शुरू हुई??
👉🏾 सड़क निर्माण कार्य में गिट्टी,मोरंग के स्थान पर काली मिट्टी डाली जा रही है।इससे अच्छा AI की मदद से सड़क बना दी जाय मिट्टी का खर्च भी बच जाएगा।
👉🏾 राजापुर बाँदा मुख्य मार्ग से निकल कर चिल्लीमल,भदेहदू को जाने वाली लगभग 20km रोड का… pic.twitter.com/JlSdf9E1de
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
चिल्लीमल क्षेत्र की खराब सड़कों के मुद्दे को हिन्द न्यूज़ लाइव चैनल ने कई बार उठाया था। सड़क निर्माण कार्य शुरू होने से कुछ ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान आई है, लेकिन वे इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यह सड़क कितने दिनों तक टिकेगी।
"AI से सड़क बनवा लें, मिट्टी का खर्च भी बच जाएगा"
ग्रामीणों ने व्यंग्य करते हुए कहा कि मिट्टी डालने से अच्छा है कि सीधे AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से सड़क बनवा ली जाए और भुगतान करवा लिया जाए। आखिर जिम्मेदारों को रोकने वाला कौन है?
सरकार से अपील
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और संबंधित विभागों से इस मामले की जांच कर सड़क निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए ईमानदार प्रयास जरूरी हैं, ताकि लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का समाधान हो सके।
चित्रकूट की यह कहानी सवाल उठाती है कि क्या सरकारी योजनाओं के लाभ सही तरीके से जनता तक पहुंच पाते हैं, या फिर भ्रष्टाचार इसकी राह में सबसे बड़ी बाधा बना हुआ है।