चित्रकूट के मानिकपुर थाना क्षेत्र में भाजपा कार्यकर्ता अरुण सिंह बघेल उर्फ मिंटू सिंह के खिलाफ जानलेवा हमले (धारा 307) का मामला दर्ज होने से विवाद खड़ा हो गया है। अरुण सिंह ने पुलिस पर फर्जी मुकदमा दर्ज कराने का आरोप लगाते हुए इसे सोची-समझी साजिश बताया है।
पीड़िता वंदना सिंह ने पहले मानिकपुर थाने में छेड़खानी की शिकायत दर्ज करवाई थी, जिस पर पुलिस ने 11 नवंबर 2024 को मामला दर्ज किया था। इस मामले की जांच के लिए सरैंया चौकी प्रभारी नीरज सिंह लगभग शाम 6 बजे मौके पर पहुंचे थे और दोनों पक्षों से पूछताछ की थी। लेकिन उसी रात, अरुण सिंह पर हवाई फायरिंग का आरोप लगाया गया, जिसके आधार पर उनके खिलाफ धारा 307 का मामला दर्ज हुआ।
अरुण सिंह के अनुसार, रात करीब 11:45 बजे फायरिंग हुई, जिसके बाद कुछ लोग कारतूस का खोखा लेकर पुलिस थाने पहुंचे और उनके खिलाफ मामला दर्ज करा दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने मात्र दो घंटे के भीतर केस दर्ज कर दिया, जबकि आमतौर पर पीड़ितों को इंसाफ के लिए कई दिन तक चक्कर लगाने पड़ते हैं।
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— Abhimanyu Singh Journalist (@Abhimanyu1305) November 15, 2024
👉🏾 भाजपा कार्यकर्ता अरुण सिंह बघेल उर्फ मिंटू सिंह पर रातों रात मानिकपुर थाने में लिखा गया जानलेवा हमले का मुकदमा।
👉🏾 अरुण सिंह ने मानिकपुर पुलिस पर लगाया फर्जी मुकदमा लिखने का आरोप। कहा साजिसन लिखा गया 307 का मुकदमा।
👉🏾 जानलेवा हमले का मुकदमा लिखवाने वालों के… pic.twitter.com/drUwWkQNMu
अरुण सिंह का कहना है कि जिस खोखे के आधार पर मुकदमा दर्ज हुआ, उसकी जांच की जानी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि खोखे पर कारतूस का नंबर अंकित होता है और गन हाउस में इसे रिकॉर्ड में रखा जाता है। इससे पता चल सकता है कि कारतूस किसने खरीदी थी और असली फायरिंग करने वाला कौन था।
गढ़चपा गांव में ब्राह्मण और ठाकुर समुदाय के बीच तनाव पहले से ही चल रहा है। अरुण सिंह पर पहले भी शराब में जहर मिलाकर हत्या करने का आरोप लगाया गया था, जिसे बाद में विसरा रिपोर्ट में गलत साबित कर दिया गया। अब उनके खिलाफ जानलेवा हमले का मामला दर्ज होने पर वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की मांग कर रहे हैं।
कुछ ग्रामीणों का मानना है कि छेड़खानी के आरोपियों ने इस मामले को कमजोर करने के लिए खुद फायरिंग करवाई और सारा दोष अरुण सिंह पर मढ़ दिया। इस मामले में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है ताकि सच्चाई सामने आ सके।