लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश: यूपी के लखीमपुर खीरी जिले के पसगवां थाने में तैनात दरोगा राघवेंद्र सिंह का एक कथित ऑडियो वायरल हो गया है, जिसमें वह एक महिला से बातचीत के दौरान बेहद अमर्यादित और जातिवादी भाषा का इस्तेमाल करते सुनाई दे रहे हैं। इस ऑडियो ने पूरे जिले में सनसनी फैला दी है और पुलिस विभाग की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है वायरल ऑडियो में?
वायरल ऑडियो में दरोगा राघवेंद्र सिंह कथित रूप से खुद को "ठाकुर" जाति का बताते हुए महिला से अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। वह कहते हैं, "मैं बहुत बत्तमीज किस्म का आदमी हूं। ब्राह्मणों के पैर छूता हूं और उन्हें पैर पर पटकना भी पसंद करता हूं।" इतना ही नहीं, दरोगा ने महिला को धमकी देते हुए कहा, "अगर 10 बजे तक नहीं आईं तो रात 2 बजे तुम्हारे घर में घुस जाऊंगा, औरत-बच्चों को बेइज्जत करूंगा।"
दरोगा ने महिला को यह भी कहा, "तुम्हें जहां, जिससे कहना हो कह दो। मैं किसी से नहीं डरता।"
यूपी में लखीमपुर खीरी के पसगवां थाने में तैनात जातिवादी दरोगा राघवेंद्र सिंह !!
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) November 29, 2024
उत्तर प्रदेश मित्र पुलिस के एक दरोगा और एक महिला के बीच अमर्यादित "शर्मनाक" भाषा में बातचीत का ऑडियो वायरल !!
फोन पर पीड़ित महिला से बोला मैं जाति का ठाकुर हूं, मैं बहुत बत्तमीज किस्म का आदमी हूं… pic.twitter.com/AvCM8JpjQK
जनता और प्रशासन की प्रतिक्रिया
ऑडियो वायरल होते ही स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों में गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने इसे पुलिस विभाग की "मित्र पुलिस" की छवि के खिलाफ बताया। स्थानीय नागरिकों ने इसे जातिगत भेदभाव और महिला अपमान का गंभीर मामला बताया और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की।
लखीमपुर खीरी पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने मामले का संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा, "ऑडियो की सत्यता की जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
जातिवाद और पुलिस की छवि पर असर
इस मामले ने पुलिस विभाग में व्याप्त जातिवाद और महिला सुरक्षा के प्रति असंवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। पुलिस प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त न किया जाए और दोषी अधिकारी को दंडित किया जाए।
न्याय की मांग
पीड़ित महिला और स्थानीय लोगों ने दोषी दरोगा को तुरंत निलंबित करने और कठोर दंड देने की मांग की है। यह मामला न केवल पुलिस की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि समाज में जातिवाद और लैंगिक असमानता जैसी समस्याओं की ओर भी ध्यान दिलाता है।