चित्रकूट। बुंदेल भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार और प्रेस क्लब ऑफ यूपी के जिला उपाध्यक्ष प्रकाश ओझा के साथ मारपीट और जान से मारने की धमकी का मामला सामने आया है। इस घटना का आरोप मिनी गुंडा एक्ट के अपराधी शिवभूषण पाण्डेय पर लगाया गया है, जिन पर पत्रकार के साथ गाली-गलौज और दुर्व्यवहार करने का भी आरोप है।
मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना 1 अक्टूबर को उस समय हुई जब प्रकाश ओझा अपने गांव छीबों में एक मिठाई की दुकान पर बैठे थे। इस दौरान शिवभूषण पाण्डेय वहां पहुंचे और ओझा को कुर्सी से उठने के लिए कहा। जब ओझा ने कुर्सी से उठने से इनकार कर दिया, तो शिवभूषण ने उनके साथ अभद्रता की और ताबड़तोड़ थप्पड़ मारना शुरू कर दिया। इसके अलावा, शिवभूषण पाण्डेय ने ओझा को जान से मारने की धमकी भी दी।
प्रकाश ओझा ने इस घटना की शिकायत 2 अक्टूबर को राजापुर थाने में दर्ज कराई। शिकायत में उन्होंने शिवभूषण पाण्डेय के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि, इस गंभीर मामले में अब तक पुलिस की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पुलिस की निष्क्रियता से आहत ओझा और पत्रकार जगत ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं।
इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि थाने की पुलिस आरोपी को पकड़ने की बजाय खुद पीड़ित पत्रकार को ही प्रतिदिन थाने बुलाकर समझौता करने का दबाव बना रही है। यह रवैया पुलिस की कार्यशैली और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाता है। पत्रकारिता जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं कानून व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करती हैं और अपराधियों का मनोबल बढ़ाती हैं।
प्रश्न उठता है कि क्या पुलिस की यह लचर कार्यशैली ही अपराध को जन्म देती है? क्या कानून की रक्षा करने वाली पुलिस ही कानून व्यवस्था को कमजोर करने में भूमिका निभा रही है? पत्रकार समुदाय और समाज के लोगों ने इस मामले में न्याय की मांग करते हुए प्रशासन से सख्त कार्रवाई की अपेक्षा की है ताकि भविष्य में पत्रकारों और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।