उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से भाजपा विधायक प्रदीप चौधरी का एक विवादित बयान चर्चा का विषय बन गया है। यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब फजलू नामक एक मुस्लिम व्यक्ति, जो राशन डीलर के खिलाफ शिकायत करने पहुंचे थे, को विधायक ने यह कहकर सिफारिश करने से मना कर दिया कि उन्होंने भाजपा को वोट नहीं दिया।
क्या कहा विधायक ने?
विधायक प्रदीप चौधरी ने फरियादी से कहा, "मैंने आपको काजू, पिस्ता, बादाम खिलाए। लेकिन आपने भाजपा को वोट नहीं दिया। अब आप मुझसे सिफारिश की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?"
इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें विधायक साफ तौर पर यह कहते दिख रहे हैं कि भाजपा को वोट न देने वालों के लिए वह किसी भी तरह की मदद नहीं करेंगे।
यूपी के बुलन्दशहर के भाजपा विधायक प्रदीप चौधरी का विवादित बयान !!
— MANOJ SHARMA LUCKNOW UP🇮🇳🇮🇳🇮🇳 (@ManojSh28986262) November 29, 2024
मैंने आपको काजू पिस्ता बादाम खिलाए,
मगर आपने बीजेपी को वोट नहीं दिया, राशन डीलर की शिकायत करने गया था फरियादी फजलू !!
मुस्लिम फरियादी की सिफारिश से विधायक का इंकार, आपने बीजेपी को वोट नहीं दिया, इसलिए आपकी… pic.twitter.com/WkFyqt77Fk
फरियादी का पक्ष
फजलू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह राशन डीलर की अनियमितताओं की शिकायत करने के लिए विधायक के पास गए थे। उनका कहना है कि वह एक आम नागरिक हैं और उनका किसी राजनीतिक पार्टी से कोई संबंध नहीं है। "विधायक का यह कहना कि मैंने भाजपा को वोट नहीं दिया, इसलिए मेरी समस्या का समाधान नहीं होगा, बेहद शर्मनाक है," उन्होंने कहा।
विपक्ष का निशाना
इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने भाजपा पर तीखा हमला किया है। सपा नेता ने इसे जनता के साथ विश्वासघात करार दिया और कहा कि जनता के प्रतिनिधि को धर्म या वोट के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए।
विवाद बढ़ने पर विधायक की सफाई
विवाद बढ़ने के बाद विधायक प्रदीप चौधरी ने सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "मैंने ऐसा कोई इरादा नहीं जताया था। मैं सभी लोगों के लिए काम करता हूं, चाहे उन्होंने किसे वोट दिया हो।"
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर लोग जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कुछ लोग विधायक के बयान को असंवैधानिक बता रहे हैं, जबकि कुछ इसे भाजपा की नीति का हिस्सा कह रहे हैं।
क्या कहता है कानून?
राजनीतिक प्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपने क्षेत्र के नागरिकों की समस्याओं का समाधान बिना किसी भेदभाव के करें। यह मामला न केवल विधायक की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े करता है, बल्कि राजनीतिक नैतिकता पर भी बहस छेड़ता है।