राजस्थान के पाली जिले में दलित समुदाय से जुड़े एक डॉक्टर और उनकी पत्नी पर हुए हमले का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। यह घटना न केवल समाज में जातीय भेदभाव की गहरी समस्या को उजागर करती है, बल्कि पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े करती है।
जानकारी के मुताबिक, डॉक्टर को चंद्रपाल सिंह, प्रहलाद सिंह, और हनुमान सिंह राजपूत ने पहले अस्पताल में धमकाया और धक्का-मुक्की की। डॉक्टर को अपनी जान बचाने के लिए अस्पताल छोड़कर भागना पड़ा। मामला यहीं नहीं रुका; रात 2 बजे इन्हीं आरोपियों ने डॉक्टर के घर में घुसकर उनकी और उनकी पत्नी की बेरहमी से पिटाई की।
घटना को लेकर पुलिस ने SC/ST एक्ट की कठोर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। बावजूद इसके, घटना के 14 दिन बीत जाने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
पाली पुलिस के ट्विटर हैंडल पर कई लोग इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। स्थानीय और राज्य स्तर पर पुलिस की निष्क्रियता की आलोचना हो रही है। दलित संगठनों और आम जनता में इस मामले को लेकर भारी आक्रोश है।
डॉक्टर और उनकी पत्नी ने पुलिस प्रशासन से गुहार लगाई है कि आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए, ताकि उन्हें न्याय मिल सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
यह घटना कानून और व्यवस्था के साथ-साथ सामाजिक न्याय पर भी सवाल उठाती है। राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि दोषियों को कानून के तहत सख्त सजा दी जाए और पीड़ितों को न्याय मिले।
पाली में हुई इस घटना ने एक बार फिर समाज में जातीय भेदभाव और हिंसा की गंभीरता को उजागर किया है। प्रशासन को इस पर कड़ी कार्रवाई करते हुए यह संदेश देना चाहिए कि ऐसे अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।