नई दिल्ली: भारत के सरकारी तंत्र में पहली बार एक अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के व्यक्ति को मीडिया सलाहकार के प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त किया गया है। दिलीप मंडल, जो मीडिया क्षेत्र में अपनी विशेषता और प्रभाव के लिए जाने जाते हैं, को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस महत्वपूर्ण भूमिका में नियुक्त किया गया है। क्रांति कुमार ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "मीडिया सलाहकार के इस पद पर अब तक हमेशा ब्राह्मण, ठाकुर या बनिया समाज के व्यक्तियों की ही नियुक्ति होती थी। दिलीप मंडल इस पद पर नियुक्त होने वाले पहले OBC व्यक्ति हैं, और यह नियुक्ति एक ऐतिहासिक कदम है।"
दिलीप मंडल का नाम मीडिया क्षेत्र के महारथियों में शामिल है, और उनकी योग्यता व कार्यकुशलता का आदर किया जाता है। उनके इस पद पर नियुक्त होने से सामाजिक और राजनीतिक हलकों में चर्चा का माहौल बन गया है। क्रांति कुमार ने लिखा कि दिलीप मंडल का मीडिया सलाहकार पद पर आसीन होना मानो "स्वर्गलोक में भूचाल" की तरह है।
मीडिया सलाहकार के जिस पद पर दिलीप मंडल नियुक्त हुए हैं उस पद पर हमेशा ब्राह्मण, ठाकुर या बनिया समाज का व्यक्ति ही नियुक्त होता था.
— Kranti Kumar (@KraantiKumar) November 7, 2024
दिलीप मंडल मीडिया गुरु हैं, उन्हें मीडिया क्षेत्र का महारथी कहा जा सकता है.
उनकी काबिलियत और कार्यकुशलता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी… pic.twitter.com/C0cf8bKUQL
इस नियुक्ति के बाद कई प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ लोगों के बीच असहजता का माहौल बन गया है। कुणाल शुक्ला नाम के एक व्यक्ति ने इसे लेकर सूचना के अधिकार (RTI) के तहत जानकारी मांगी है। कहा जा रहा है कि इस नियुक्ति से कुणाल शुक्ला की तबियत तक खराब हो गई है। शुक्ला का यह कदम और इस पर क्रांति कुमार की टिप्पणी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है।
क्रांति कुमार का कहना है कि अगर किसी OBC, SC, या ST समुदाय के व्यक्ति को उनकी विशेषज्ञता और कार्यकुशलता के आधार पर सरकार में सेवा का अवसर मिल रहा है तो इसमें गलत क्या है? उनका तर्क है कि अगर दिलीप मंडल का नाम 'दिलीप पांडेय' होता तो शायद कुणाल शुक्ला जैसे लोगों को कोई असहजता महसूस नहीं होती।
इस नियुक्ति से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय प्रशासनिक तंत्र में नई सामाजिक सोच और परंपरागत दृष्टिकोण से अलग निर्णय लिए जा रहे हैं।