चित्रकूट। जिला परिवहन कार्यालय (एआरटीओ) में भ्रष्टाचार और अवैध वसूली के गंभीर आरोपों के चलते, एआरटीओ विवेक शुक्ला के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति का दावा यहां औंधे मुंह पड़ा नजर आ रहा है, क्योंकि एआरटीओ कार्यालय के कई कार्य दलालों के माध्यम से ही संभव हो रहे हैं। बिना दलालों के जरिए, किसी भी कार्य को करवाने में लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कार्यालय में दलालों का एक मजबूत नेटवर्क है, जो सीधे तौर पर अधिकारियों की सहमति से अवैध वसूली का संचालन कर रहा है।
दलालों के माध्यम से चल रही अवैध वसूली
सूत्रों के अनुसार, एआरटीओ विवेक शुक्ला के कार्यकाल में चित्रकूट जिले में अवैध वसूली का एक संगठित नेटवर्क बन चुका है। ट्रकों और डंपरों की ओवरलोडिंग, बगैर परमिट बसों का संचालन, और डग्गामार जीपों का अवैध रूप से सड़कों पर दौड़ना आम हो गया है। ऐसी गाड़ियां हर माह एक निश्चित राशि एआरटीओ कार्यालय के कथित दलालों को देती हैं, जिससे सरकारी राजस्व की हानि हो रही है। यह अवैध वसूली जिले के भीतर मुख्य सड़कों से लेकर हाईवे तक सक्रिय है। यदि ये वाहन सभी नियमों का पालन करते तो सरकारी खजाने में जुर्माना शुल्क जाता, लेकिन फिलहाल यह पैसा कथित दलालों के माध्यम से एआरटीओ कार्यालय तक पहुँचता है।
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— चित्रकूट खबर (@poonamgupt60409) November 6, 2024
स्थानीय प्रशासन और सरकार की निष्क्रियता
मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार-रोधी नीति के बावजूद, एआरटीओ कार्यालय में कथित भ्रष्टाचार पर प्रशासन की निष्क्रियता जनता में रोष का कारण बन रही है। लोगों का कहना है कि न केवल प्रशासन बल्कि सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं की भी इस पूरे मामले में आंखें बंद किए हुए हैं। भाजपा द्वारा भ्रष्टाचार मिटाने के संकल्प के बावजूद इस तरह के मामले सामने आना मुख्यमंत्री के संकल्प पर सवाल उठाता है। लोगों का मानना है कि भ्रष्टाचार के इस जाल में स्थानीय अधिकारियों से लेकर सत्ताधारी दल के नेताओं तक की संलिप्तता हो सकती है।
ट्रांसपोर्टर्स और आम जनता में असंतोष
चित्रकूट के ट्रांसपोर्टर और आम जनता इस भ्रष्टाचार और दलाली से बेहद परेशान हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि उनके वाहनों को तब तक नहीं छोड़ा जाता, जब तक वे दलालों के माध्यम से एआरटीओ तक अवैध रकम नहीं पहुंचाते। एक स्थानीय ट्रांसपोर्टर ने बताया कि ओवरलोडिंग न होने पर भी उनसे रकम वसूल की जाती है। वहीं, छोटे व्यापारी और बस संचालक भी इसी तरह की समस्याओं से जूझ रहे हैं।
भ्रष्टाचार की जाँच की मांग
स्थानीय जनता और समाजसेवी संगठनों ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि एआरटीओ विवेक शुक्ला के कार्यकाल में हुए सभी अवैध वसूली के मामलों की जांच की जानी चाहिए। इसके अलावा, यह मांग की जा रही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप करें और अपने जीरो टॉलरेंस नीति को लागू करवाने के लिए उचित कदम उठाएं।
एआरटीओ कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार और अवैध वसूली ने सरकार की भ्रष्टाचार-मुक्त शासन की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति पर प्रशासनिक निष्क्रियता और सत्ताधारी दल के नेताओं की उदासीनता से सवाल उठते हैं। यदि इस मामले में शीघ्र कदम नहीं उठाए गए तो जनता का विश्वास सरकार पर से उठ सकता है।