बदायूं, उत्तर प्रदेश— हाल ही में बदायूं जिले के फैजगंज बेहटा थाना क्षेत्र के गांव नूर नगर कोडिया में दलित समुदाय के साथ मारपीट और उत्पीड़न की एक गंभीर घटना सामने आई है। इस घटना ने पूरे इलाके में तनाव और आक्रोश पैदा कर दिया है।
गौरव सागर, एक सामाजिक कार्यकर्ता और दलित अधिकारों के समर्थक, ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर इस मुद्दे को उठाते हुए लिखा, "चमारों को गाँव से बाहर निकाल दिया जाए। ये कहना है तथाकथित जातिवादियों का। क्या उत्तर प्रदेश पुलिस ये बताने का कष्ट करेंगी कि ऐसा कोई नियम है क्या, जिसके द्वारा चमारों को गाँव में रहने नहीं दिया जाए?"
घटना का विवरण और सामाजिक प्रभाव
यह मामला तब सामने आया जब भूरे सिंह नाम के एक व्यक्ति ने फैजगंज बेहटा थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि गांव के कुछ व्यक्तियों, जिनमें तेजपाल, अनेक पाल, टिंकू, धान सिंह, विष्णु और गिर्राज शामिल हैं, ने लगभग दस अन्य अज्ञात लोगों के साथ मिलकर उनके घर पर हमला किया। हमलावर लाठी, डंडे, चाकू और लोहे की सरिया लेकर आए और घर में घुसते ही मारपीट करने लगे। उन्होंने जातिसूचक अपशब्दों का प्रयोग करते हुए कहा, "इन चमारों को गाँव से बाहर निकाल दिया जाए।"
घटना के दौरान, हमलावरों ने महिलाओं के साथ अभद्रता की, उनके कुंडल छीन लिए और घर के सामान को भी नुकसान पहुँचाया। शिवा राव, जो भीम आर्मी बदायूं के जिला उपाध्यक्ष और भूरे सिंह के रिश्तेदार हैं, को गंभीर रूप से पीटा गया। उनके शरीर पर कई गंभीर चोटें आईं। इस घटना से उनके परिवार और गाँव के अन्य दलित परिवारों में भय का माहौल है।
च मा रों को गाँव से बाहर निकाल दिया जाए
— गौरव सागर (@proofdo) November 3, 2024
ये कहना हैं तथाकथित जा ति वा दियों का
क्या उप्र पुलिस ये बताने का कष्ट करें की ऐसा कोई नियम है क्या?? जिसके द्वारा च मा रों को गाँव में रहने नहीं दिया जाए
भाई शिवा राव पर धारदार हथियारों से जानलेवा हमला किया , महिलाओ से छेड़छाड़ की गयी… pic.twitter.com/Ob7UqF2MDO
भूरे सिंह ने अपनी शिकायत में विस्तार से बताया कि कैसे उनके परिवार पर जानलेवा हमला किया गया और उन्हें धमकियां दी गईं। शिकायत के अनुसार, हमलावरों ने पुलिस को आते देख कर भागने की कोशिश की लेकिन इससे पहले उन्होंने धमकी दी, "साले, अब तूने अगर शिकायत की, तो तुझे जान से मार देंगे।"
शिवा राव और अन्य घायल परिवारजनों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय दलित संगठनों और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने न्याय की मांग की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जातिगत भेदभाव और हिंसा से निपटने के लिए प्रशासन कितनी तत्परता से काम कर रहा है। गौरव सागर और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है और न्याय की गुहार लगाई है। लोगों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं तब तक नहीं रुकेंगी जब तक प्रशासन दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं करता।
इस मामले में पुलिस की त्वरित और निष्पक्ष जांच से ही पीड़ित परिवार को न्याय मिल सकेगा और गांव में शांति बहाल हो पाएगी।